Book Title: Vidhan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
आराधना श्लोक
विभांति पुंसां गुण संकथायां पुष्पावदाताः खलु यस्य दंताः ।
स पुष्पदंतो वरुणान्ति कस्थः पुष्पाणि गृण्हातु जलान्वितानि॥36॥
आह्वान
ॐ आं क्रौं ह्रीं श्वेत वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे पुष्पदंत आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधान
ऊँ पुष्पदंताय स्वाहा। पुष्पदंत परिजनाय स्वाहा। पुष्पदंता अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा । ॐ स्वाहा । ॐ भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भूर्भुव स्वाहा।
स्वः स्वाहा स्वधा ।
अर्घ
हे पुष्पदंत इदमघ्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा। 361
बलिं- पुष्प, जल।
यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः ।। (शान्तिधारा)
1394

Page Navigation
1 ... 1392 1393 1394 1395 1396 1397 1398 1399 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408 1409