Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana
View full book text
________________
१७२ विचारमाला... वि०४०
यहि,करो सारथिक शोच॥ मूल सिंधुमों बिंदुसम, लिख्यो अरथ संकोच ॥१॥ कह्यो जुकिंचित अरथमें,सो वेदांतको । सार॥मले विचारे याह जो, संसृति नसें अपार ॥२॥ संवतशशि गुण ग्रह शंशी,गतीअंक लिख वाम॥ज्येष्ठमास पख कृष्ण शुभ,तीज सोम सुखधाम॥३॥
कवित. मायिक प्रपंचमाहिं सिंधु नाम देश आहि तामें साधुबेला नाम ॥साधु जन गावहीं।तासमें निवासा करें ब्रह्मानंदमाहिं चरें पालक प्रसाद हरि संत मन भावहीं॥ संत जे.समीप बसें तप कर तनु कसैं इंद्रिय मन रोक ध्यान ब्रह्ममै लगावहीं॥ . अष्टम विश्राम जोइ इति भयो तामें

Page Navigation
1 ... 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194