Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana
View full book text
________________
(४)
जाइके ॥शुद्धतूस्वयंप्रकाशछोड़देविरानीआस॥होतक्युहेरानमूढमिथ्यामेंगंठाइके। केतहरिसंग० ॥१२॥ शुद्धहिविचारसोपोलादकीकटारिकरि ॥ गुरुजुल्हारपासलीजिये गडाइके॥ गडिभलेघाटयाकोअमिमांहितातिकरि ।। प्रेमरूपीपानिवाकोदीजियचढाइके ॥ नामरूपरहितकटारिसुदुरसकरिशुद्धबुद्धिम्यानतामेराखियेद्रढाइक।। केतहरिसंग०॥१३॥ करिचारोधामसवैतीरथमेंगुम्योअरुभयोहैपवित्रगंगागोमतीनहाइक।कीनोहठजोगतासेंजायगोक्यों रोगमूढइच्छेस्वर्गादिकभोगबैठोक्याकमाइके॥तासेंतेरोजनममरननहिछूटेतूतोजाननिजानंदघनउलटसमाइके। केतहरिसंग०॥ १४ ॥ खीरनीरएकजानिदूधसोतेंडारिदीनु।। कियोनविचारवैठोपानिकोजमाइके ॥ तासेतोतूसारक्या निकासेगोमथनकरि ॥ आपभूलि औरकोभुलावेभरमाइके ॥ मुखसेकहतएकआतमासकलमाहिं ॥ देखिपरदोपचित्तरेतचरमाइके ॥ केतहरिसंग० ॥ १५ ॥ आपजोकहतवातज्ञानकीबनाइकरि ॥ मनमरहतराजि लोकमेंपुजाइके ॥ औरकहेनातकोऊज्ञानकीकिसीको

Page Navigation
1 ... 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194