Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana
View full book text
________________
(३)
ताकोकहेएकदेशीमनमेंफुलाइके ॥ केतहस्सिंग० ॥८॥ करिसतसंगसुधारसक्योंनपीवेतूतो ॥ होतराजीबहुतवि षयलपटाइके ॥ बांधेटेदीपागपैरेधोतीसोकिनारीदार ॥ अंगपरओढिलेतदुपेटोरंगाइके ॥ बोलेमीठीबातकहेब-. हुतसिहानोंसतसंगमेंनआवै कभीलोकसेलजाइके । केतहरिसंग० ॥९॥ ज्ञानकीकटारीकसि बांधतेरीकमरसें ।। जाइसतगुरुपासलीजियेसजाइके ॥ शुद्धहिविचारक स्मिारकामक्रोधहिको ॥ म्यानसेंनिकासिलेतुहाथमेंहलाइके ॥ करयाकीचोटआरपारहिनिकासितेरोजान-. तूस्वरूपजीवभावकोमिटाइके ॥ केतहरिसंग० ।। १० ।। दुर्लभतेदेहधरिकहातेकमाइकरि ॥ भूल्योनिजानं दहरिदेहबुधिलाइके ॥ जंत्रमंत्रसाधेभूतप्रेतहिकोबांधता- . सेंकायाक्रमबांधेदेहभावदेजलाइके । बेरबेरनाहिनरदेहतोकोआवेऐसो ॥ मुक्तिकोदुहारदेतचलिममिलाइके । केतहरिसंग० ॥ ११ ॥ जपरेअजपाजापसोइहैतृआपैआप॥निश्चयकरिमानध्यानबैठजालगाइके॥देहबुधिटारिरूपआपकोसंभारिकामक्रोधलोभमोहयाको दीजियेभ

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194