Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana
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(२) शुद्धसर्वदेशीहे॥जानतुस्वरूपतेरोअस्तिभातिप्रियऐसो॥ दुःखरूपमानिरह्योतेरीमतिकेसीहे ॥ केतहरिसंगमिथ्यादेहकोतूमानेमूढा। मेरोकयोमानेतोकटारीखाइजेसीहे॥५॥ भक्तिसोनजानेप्रभुन्यारोकरिमानेतासे ॥ होतहैहरिकोद्रोहीफेरचितचाइके । भक्तिअरज्ञानइकभिन्नहिनजानोकोउ ॥ एकताहैभक्तिकृष्णकहिगीतागाइके ॥ लोकहुरिजावेराधाकृष्णकोविहारगावे ॥ निंदामेंअस्तुतिमानेमनमेंसराइके ॥ केतहरिसंगमिथ्यादेहमेंअध्यासकरि ॥ मरेक्योंनमूढतुकटारीपेटखाइके ॥६॥ अजअविनाशीएकअखंडअपारप्रभु ॥ ताकोतोकहतउठहाथकोबनाइके ॥ जगतकेमाततातताकितोउगारीबात ।। केतेहोतूनाचेकृष्णगोपीबनिआइके ॥ अजन्माकोजन्मजानेवेदकीनबातमाने ॥ तातेजातकालहिकेमुखमैचवाइके ॥ केतहरिसंग० ॥ ७ ॥ आपहोइजीवपापीव्यभिचारीभक्तिकरे ॥ केतप्रभुपाऊंगोमेंवैकुंठहुनाइके ॥ कोउतो कहतमोक्षमोक्षहुशिलाकेमाहि ॥ कोउतोकहतगोलोकमहुधाइके ॥ देशकालवस्तुपरिच्छेदसेरहितप्रभु . ॥
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