Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana

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Page 187
________________ तंब ॥ जानेमेरोमानगयोमरेयोमुंजाइके ॥ जानेएकमैंहिहोतोदैतभावटिजाय ॥ अंतरकिआगतेरीबैठतूबुजाइके ॥ केतहरिसंग० ॥ १६ ॥ देहअभिमानीक्याविलोवेबैठोपानीवातकाहुकीनमानीतूतोबोलतचगाइके । आपकोअधिकजानिऔरकीतोहांसिकरे ॥ काहेकोमरत सोतेसांपकोजगाइके ॥ बहुतकमायोधनपेटमेनखायो परतियोलोभायोतोकूलेवैगीबुगाइके ॥ केतहरिसंग० ॥ १७ ॥ बजावैमृदंगतालख्यालखासेगावेआपरहेआठोयामरंगरागभिजाइके ॥ आपकीसरावेबातऔरकी । नभावेदेखी ॥ आपकोअधिकमानिमूछमरडाइके ॥ह रिकेनगावेगुणविषैवातभावेमुख ॥ ज्ञानकीतोबातसुनि ऊठतखिजाइके ॥ केतहरिसंग० ॥१८॥ हंससेकहावेअरुलच्छनतोकाकहिके।बोलतगुमानभरीमुखमुसकाइके।। हंससोतोमोतीचुगेमंसकोपवैयाकाक ॥ बैठेछांददेशपरफिरहिषिराइके ॥ ऐसेखललोकहँसोसारहिकोत्यागकरि ॥ वस्तुजोअसारताकोराखतग्रहाइके ॥ केतहरिसंग०॥ १९॥ कहावेकपुरदेनहींगकीतोवासनाहि ॥ ना

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