Book Title: Vicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Author(s): Anathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
Publisher: Gujarati Chapkhana

View full book text
Previous | Next

Page 190
________________ (6) ढकोमालिकहोइरह्यो ॥ २७ ॥ मनोहरछंद ॥ करतरामा - न एकदेहअभिमानऐसो आपमाहिंआपै आपफूल्योही फिरत है || नाहिवपुतीन तेरेचेतन स्वरूप शुद्धगीतागुरुवेदवाक्यसा षजो भरत है ॥ साररूअसारहिकौकरिलेविचार आपदेहको हुंमानि मुढकाहेको मरत है || जानोहरिसंगस तगुरुगम भयो तब चौरासी के फंदडुमें कबून परतहै ॥ २८ ॥ दोहा || हर्षशोकमनकोगयो || शांतभयो है चित्त ॥ सद्गुरु रामप्रसादतें || जान्यो नित्यानित्य ॥ २९ ॥ नित्यानि - त्यविवेकसे || भईअविद्यानाश || हर्षशोकतेरहितजो ॥ सोहं ब्रह्मप्रकाश ॥ ३० ॥ आपप्रकाशअखंडहों ॥ सतचिदआनंदरूप || हरीसंगमनतेपरे || सोत्रा अनूप ॥ ३१ ॥ ज्ञानकटारीग्रंथयह || सूक्षमकह्योजुभाइ ॥ शुद्धमुमुक्षूपरसदा अज्ञतज्ञपरनाइ ॥ ३२ ॥ उन्नीससेछेमेवरष ॥ भयो सुपुरणजान ॥ मृगसिरमासरुशुक्कतिथि ॥ नवमीअरुभृगुमान ॥ ३३ ॥ इति श्रीरामगुरुशिष्यहरिसंगकृतज्ञानकटारीग्रंथ संपूर्ण || 2

Loading...

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194