Book Title: Vastupal Prashasti Sangraha Author(s): Punyavijay Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai View full book textPage 9
________________ इस संग्रह के साथ ही इसका समानविषयक एक अन्य संग्रह प्रकट हो रहा है जिसमें महाकवि सोमेश्वर विरचित कीर्ति कौमुदी तथा अरिसिंह कविकृत सुकृत संकीर्तन काव्य संकलित है। इसका संपादन कार्य भी इन्हीं मुनिवरने किया है। पहले ये दोनों संग्रह एक ही ग्रन्थके रूपमें प्रकाशित किये जानेकी कल्पना रही थी, पर पीछेसे इसके साथ डॉ. ब्यूहलर आदिके लिखित उन ग्रन्थोंके संबन्धके इंग्रजी निबन्ध भी उसमें सम्मिलित करनेकी कल्पनासे उसको अब पृथक् ग्रन्थके रूपमें प्रकट किया जा रहा है। अनेकान्तविहार, अहमदाबाद. फाल्गुनी पूर्णिमा, सं. २०१७ ता. २, मार्च, १९६१. -मुनि जिन विजय -आभार प्रदर्शनप्रस्तुत वस्तुपाल प्रशस्त्यात्मक संग्रह ग्रन्थके प्रकाशन व्ययमें भारत सरकारकी ओरसे आधा हिस्सा सहायताके रूपमें मिला है, तदर्थ हम भारत सरकारके प्रति अपना साभार कृतज्ञभाव प्रदर्शित करना चाहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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