Book Title: Vastravarnasiddhi
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 11
________________ ॥ श्री वीतरागाय नमः ॥ वस्त्र वर्ण सिद्धी. मालवा के अंतर्गत महान प्रभावशाली माहाराजा विक्रमादित्य की पुन्य प्रपूर्ण भूमि उज्जयनी नगरी के समीप प्रख्यात शहर रतलाम ( रत्नपुरी) में वस्त्र वर्ण निर्णय सम्बंधी चर्चा का जन्म हुवा, और वह एसे स्वरूपमें निर्वाह करने लगा कि जो जैन अजैन साक्षरों की दृष्टी में घृणास्पद होगया, यहां तक कि प्रतिष्ठित राज्य कर्मचारियों ने प्रजा के हितार्थ इस धार्मिक-चरण करणानुयोग चर्चा को वितंडवाद समाज बंद करने की चेष्टा की, आश्चर्य है ! महावृत के शोभास्पद वस्त्र वर्ण विवाद का अमानुषी स्वरुप ? मेने यह विचार किया कि पुरातन प्रर्वती के प्रमाण क्या आगमों में नहीं है ? कि जिससे सांप्रत समाज में एसी चर्चा का जन्म हुवा ? तो यही परिणाम आया कि प्रमाण तो विशेष रूप में प्रतिपादित हैं किन्तु मान्यता को वश करने के साधन प्रायः लब्ध नहीं है । तभी इम की खोजना में साहित्य प्रेमी समाज मग्न है, अगर सौचा जायतो श्रीमान् अनुयोगाचार्य सत्य विजयजी आदि शासन प्रेमी महानुभावों ने वस्त्र वर्ण परिवर्तन किया है, और समाज शास्त्रोत समझ समाज हित के लिये तद् विषयक प्रवर्ती की. अब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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