Book Title: Vandaruvruttya Parnamni Shraddha Pratikraman Sutra Vrutti Author(s): Devendrasuri Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 9
________________ शोधने च क्वचित्कचित् द्वासप्तत्यधिकचतुर्दशशतमानविक्रमवर्षीयश्रीभृगुकच्छवास्तव्यमोदकज्ञातीयगोदाडुंगरलिखापिता प्रतिराधारभूता ।। भविष्यन्त्यनेकानि स्खलितानि दृष्टिदोषात्सूत्रार्थमौढ्याच्चेति प्रमाय॑ प्रेक्षणीयमिदमित्यर्थये परमानन्दालयावाप्त्यसाधारणकारणरत्नत्रयनिचयसादरश्रीश्रमणसङ्घपादपङ्कजमधुपायमान आनन्दोदन्वदभिधानः सविनयं जातस्खलितदोषदुरितानुशयः मिथ्यादुष्कृतं वितीर्य परमपदरसिकः॥ नवसायो वरपुर्या, पार्श्वजिनेशांहिपूतसकलोाम् । (१९६८) वसुरसनन्देन्दुवर्षे, कृत आनन्देन शिवततये ॥१॥ SKLUSAASASALASILAUS For Private & Personal Use Only Jain Educational ONainelibrary.orgPage Navigation
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