Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीजिनाय नमः॥ उत्तराध्ययन सूत्रम् ॥ अथ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् ॥ 卐 भाग बीजो卐 भाषांतर अध्ययन ॥२८॥ ॥२८९|| (मुलगाथा अने तेनुं भाषांतर-टोका अने टीकार्नु भाषांतर) भाषांतर सहित छपावी प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज-(जामनगरवाला) - -- JE अथ तृतीयाध्ययने चतुरंगी दुर्लभोक्ता, चतुर्थाध्ययने तां प्राप्य प्रमादस्त्याज्य इत्युच्यते, इति तृतीयचतुर्थाध्ययनयोः संबंध: ॥ अथ चतुर्थ अध्ययन आरंभाय छे ॥ तृतीय अध्ययनमा चतुरंगीनी दुर्लभता कही हवे चतुर्थाध्ययनमां, ए चतुरंगी पामीने प्रमाद तजवो एम कहेवाशे, ए रीते श्रीजा तथा चोथा अध्ययननो संबंध (संगति) सूचनी उपक्रम करे छे. For Private and Personal Use Only

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