Book Title: Upasakdashanga aur uska Shravakachar
Author(s): Subhash Kothari
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 219
________________ उपासकदशांग : एक परिशीलन २ बढ़ई', कर्मकार एवं रंग बनाने वाले का उल्लेख मिलता है । २०६ पुष्पमालाएँ - उपासक दशांगसूत्र में विभिन्न पुष्पों की मालाओं का उल्लेख आता है । आनन्द अपने घर से कुरण्ट पुष्पों की माला से युक्त होकर निकला । पुष्पविधि का परिमाण करते हुए एक बार आनन्द ने कहा- मैं श्वेतकमल तथा मालती के फूलों की माला के सिवाय अन्य सभी प्रकार के फूलों के धारण करने का परित्याग करता हूँ ।" सुगन्धित द्रव्य - उस समय विभिन्न जातियों में सुगन्धित द्रव्यों का प्रयोग होता था । आनन्द ने धूपविधि का परिमाण करते हुए अगर, लोहबान एवं धूप के सिवाय सभी धूपनीय वस्तुओं का तथा मालिश के सहस्त्रपाक एवं शतपाक तेलों के अतिरिक्त सभी मालिश के तेलों का परित्याग किया था । " मुखवास विधि में पांच सुगन्धित वस्तुओं से युक्त पान के सिवाय सब सुगन्धित वस्तुओं का परिमाण किया था ।" उपासकदशांग - सूत्रटीका में पाँच सुगन्धित वस्तुओं में इलायची, लौंग, कपूर, दालचीनी एवं जायफल का उल्लेख आता है । अगरु, कुंकुम और चन्दन के अतिरिक्त विलेपन द्रव्यों के परित्याग का भी वर्णन है । ० अन्य आगमों में अलसी, कुसुम्मा और सरसों से तेल निकालने का उल्लेख है ।" " अनेक प्रकार का सुगन्धित जल काम में लिया जाता था । १३ १. आवश्यकचूर्ण, पृष्ठ ११५ २. निशीथचूर्णि, ११, ३. ज्ञाताधर्मकथा, १, पृष्ठ १० ४. उवासगदसाओ - मुनि मधुकर, १/१० ५. वही, १ / ३२ ६. वही, १ / ३२ ७. वही, १/२५ ८. वही, १/४२ ९. वही, १/४३ पृष्ठ २९२ १०. वही, १/२९ ११. आवश्यकचूणि २, पृष्ठ २१९ १२. औपपातिकसूत्र, ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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