Book Title: Upasakdashanga aur uska Shravakachar
Author(s): Subhash Kothari
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 230
________________ उपासकदशांग में वर्णित समाज एवं संस्कृति २१७ अन्य धार्मिक मत-उपासकदशांगसूत्र में तत्कालीन अन्य धार्मिक मतों का भी उल्लेख हआ है आनन्द ने प्रतिज्ञा की थी कि आज से मैं अन्य यथिक और उनके देव को चैत्य, आलाप-संलाप, धार्मिक दृष्टि से अशन, पान, खादिम, स्वादिम आदि देने का कार्य नहीं करूंगा।' प्रारम्भ में सकडालपुत्र आजीविक सिद्धान्त का अनुयायी था। उसने एक दिन दोपहर के समय मंखलिपुत्र गोशालक के पास अंगीकृत धर्म शिक्षा के अनुरूप उपासना आरम्भ की थी। __ अन्य आगमों में भी आजीविक सम्प्रदाय का वर्णन प्राप्त होता है, साथ ही क्रियावादी अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी आदि चार मिथ्यादृष्टि मतों का भी उल्लेख है ।। ऐतिहासिक व भौगोलिक विवरण उपासकदशांग में आठ नगरों, तेरह उपनगरों, चैत्यों का उल्लेख मिलता है। साथ ही नगरों की भौगोलिक स्थिति का भी वर्णन प्राप्त होता है। नगर-उपासकदशांगसूत्र में चम्पा, वाराणसी, वाणिज्यग्राम, आलभिका, काम्पिल्यपुर, पोलासपुर, राजगृह और श्रावस्ती इन आठ नगरों का वर्णन मिलता है। १. चंपा-प्रथम आनन्द अध्ययन में चम्पा नगरी का उल्लेख है, कामदेव श्रावक चम्पा नगरी में निवास करता था।' चम्पा साढ़े पच्चीस आर्य देशों में सम्मिलित थी और यह अंग देश की राजधानी थी । स्थानांग १. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/५८ २ वही, ७/१८१ ३. वही, ७/१८५ ४. सूत्रकृतांगसूत्र, १/१२/१ ५. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/१, २/९२ ६. क. दो एनशियेन्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया, पेज-५४६-५४७ ख. जैन, प्रेमसुमन, कुवलयमाला का सांस्कृतिक अध्ययन, पृष्ठ ६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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