Book Title: Upasakdashanga aur uska Shravakachar
Author(s): Subhash Kothari
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 233
________________ २२० उपासकदशांग : एक परिशीलन ८. श्रावस्ती-नन्दिनीपिता एवं सालिहीपिता श्रावस्ती में रहते थे।' यह कौशल की राजधानी थी। इसका नाम सहेत-महेत है। सहेट गोंडा जिले में है और महेट बहराईच जिले में है। उत्तर पूर्व रेलवे के बलरामपुर स्टेशन से जो सड़क जाती है उससे यह दस मील दूर है। २ यह जैन और बौद्ध संस्कृति का केन्द्र रहा था। केशी-गौतम संवाद भी यहीं पर हुआ था । यह चारों ओर से जंगल से घिरा हुआ है । ९. मल्लकि और लिच्छिवि-उपासकदशांगसूत्र में अग्निमित्रा ने भगवान महावीर से कहा कि जिस प्रकार मल्लकि और लिच्छिवि मुण्डित हुए हैं, उस प्रकार में होने में असमर्थ हूँ। इन दोनों गणराज्यों का केवल इस तरह उल्लेख मात्र मिलता है। यहाँ प्रयुक्त मल्लकि-मल्ल संघ से सम्बन्धितजनों एवं लिच्छिवि-लिच्छिवि संघ से सम्बन्धितजनों के लिये प्रयुक्त हआ है। कल्पसूत्र में ऐसे संघीय समुदायों का स्पष्ट उल्लेख है जिसमें नौ मल्लकि और नौ लिच्छिवि व काशी, कोशल के १८ गणराज्यों का उल्लेख आता है। उपनगर-उपासकदशांगसूत्र में नगर के बाहर थोड़ी दूर पर उपनगर का भी वर्णन प्राप्त होता है। वाणिज्यग्राम के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा में कोल्लाक नामक उपनगर था । वहाँ कोल्लाक सन्निवेश में आनन्द गाथापति के अनेक मित्र, ज्ञातिजन, निजक, सम्बन्धी एवं परिजन निवास करते थे । देवेन्द्र मुनि शास्त्रो के अनुसार वैशाली के निकट वर्तमान में वसाढ़ से उत्तरपश्चिम में दो मील की दूरी पर जो कोल्हुआ है, वहीं प्राचीन कोल्लाक सन्निवेश होना चाहिए। १. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, ९/२६९, १०/२७३ २. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि-भगवान महावीर : एक अनुशीलन, परिशिष्ट, पृष्ठ ८४ ३. जैन, जगदीशचन्द्र जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृष्ठ ४८५ ४. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर ७/२१० ५. वही, ७/२१० ६. वही, १/७-८ ७. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि-भगवान महावीर : एक अनुशीलन, (परिशिष्ठ ), पृष्ठ ४९ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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