Book Title: Tulsi Prajna 2000 10
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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(ग) रायाणामण आससेणो त्ति। .... वम्माहिहाणा सयलंतेउरपहाणा
अग्गमहिसी-चउप्पन., पृ. 257 (घ) आससेणो नाम नरवई.... वम्मोदेवीए कुच्छिंसि समुप्पन्नो... । सिरिपासणाहचरियं 20. वाराणस्यामभूद्विश्वसेनः काश्यपगोत्रजः |
ब्राह्मस्य देवी सम्प्राप्तवसुधारादिपूजना ।। उत्तरपुराण 73/75 21. हयसेणु वसइ तहिं णरवरिंदु।...
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तहो वम्मदेवि णामेण भज्ज । पासणाहचरिउ, 8/1,2 22. हयसेणवम्मिलाहिं जादो हि वाणारसीए पासजिणो। —तिलोयपण्णत्ती, 4/548 23. पार्श्वनाथ चरित्र-9/95/5 24. वाराणसी विशाखा च पावो वर्मा धवोऽधिप्रः।—पद्मपुराण 20/59 25. (क) अश्वसेनश्च ते राजन, दिशन्तु मनसो धृतिम् ।। -भगवतीसूत्र 3/5/108
(ख) स्थानाम 328
(ग) उत्तराध्ययन सूत्र, 23/13 26. स्थानांगसूत्र 27. चारित्र्यभक्ति, 7 28. चातुर्याम ... स एव मैथुनविरमणात्मकः पञ्चमव्रतसहितः।-उत्तराध्ययन टीका, 23 29. मूलाचार 7/535, 537 । 30. मुणिसुव्वओ य अरिहा, अरिट्ठनेमी य गोयमसगुत्ता।
सेसा तित्थयरा खलु कासवगुत्ता मुणेयव्वा ।।-आवश्यक नियुक्ति, गाथा. 381 31. महापुराण 94/22/23 32. त्रिषष्टि पर्व 9/सर्ग 3 33. इक्खगुवंससंभूयभूवइभालतिलयभूओ, आससेणो नाम नरवई।-पासणाहचरियं, पृ. 3
वरिष्ठ व्याख्याता प्राकृत एवं जैनागम विभाग जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं-341 306 (राजस्थान)
तुलसी प्रज्ञा अक्टूबर-दिसम्बर, 2000 1900
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