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वृद्धि नवकार मंत्र कल्प
- अखिल भारतीय श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ महासंघ, नई दिल्ली के मुखपत्र
-ज्योति संदेश वार्ता (४.९) अंक में यति गौतमचन्द्र , बालोतरा (बाड़मेर) ने "णमुत्थुणं के मंत्र"-शीर्षक से कतिपय मंत्र प्रकाशित किए हैं ।
इन मंत्रों में प्रथम के नौ मंत्र वृद्धि नवकार मंत्रकल्प के हैं जिसकी एक प्रतिलिपि (लगभग १८वीं सदी विक्रमी उत्तरार्द्ध की ग्रंथलिपि में लिखी) वर्द्धमान ग्रंथागार में उपलब्ध है । उसके अनुसार मंत्रों का मूलपाठ निम्न प्रकार से है
१. ॥ॐ नमोत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं तित्थगराणं __ॐ ह्रीं ह्रीं हूँ ह्रः स्वाहाः ।। २. ॥ॐ नमो सयं संबुद्धाणं ह्रीं भ्रों स्वाहाः ।। ३. ॥ॐ ह्रीं पुरिसोत्तमाणं अणलियपोरुसाणं अह्र असि आउसाहु
नमः॥ ४ ॥ॐ ह्रीं नमो अरिहंताणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरियाणं .
पुरिसवरगंधहत्थाणं ॐ ह्री ग्रां स्वाहाः ।। ५. ।।ॐ ह्रीं नमो जिणाणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपइवाणं लोगजोयराणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय कर्णपिशाची
स्वाहाः। ६. ॥ॐ नमो अरिहंताणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं
सरणदयाणं जीवदयाणं ऐ ही सर्व भयं निद्राणायै नमः ।। ७. ।।ॐ नमो बोहिदयाणं धम्मदेसियाणं धम्म देसियाणं अरिहंताणं
ॐ नमो भगवइए देवयाए सव्व सुयभायाए बार संगजणणिए " अरिहंत सिद्धरीए भवीं क्ष्वीं स्वाहाः ।।। ८. ॥ॐ ह्रीं नमो अरिहंताणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंत चक्कवट्टीणं मम परमऐश्वर्यं कुरु कुरु स्वाहाः ।।
ॐ ह्रीं हंसः स्वाहाः। ९. ॥ॐ नमो अरिहंताणं अप्पडिययवर नाणदंसणधराणं वियट्ट
छउमाणं ऐ स्वाहाः ॥ इस मूलपाठ में किंचित् अन्तर है। यति गौतमचन्द्र ने अपने मंत्रपाठ का कोई संदर्भ नहीं दिया है किन्तु उनके मंत्रपाठ में जाप आदि का जो विधान बताया गया है वह प्रायः वृद्धि नवकार मंत्रकल्प के विधान से मेल खाता है। खंड २२, अंक ३
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