________________
स्थान स्थिति
राजस्थान राज्य के किसी भी स्थान से देखने पर पुनर्वसु, मृगशिरा, आर्द्रा, ज्येष्ठा, अनुराधा, हस्त, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा और मूल इन नक्षत्रों के तारे आकाश में दक्षिण दिशा की ओर दिखलाई देते हैं।
___ कृत्तिका, रोहिणी, पुष्य, चित्रा, अश्लेषा, रेवती, शतभिषग्, धनिष्ठा और श्रवण ये नौ नक्षत्र आकाश के मध्य भाग में दिखलाई देते हैं। अश्विनी, भरणी, स्वाति, विशाखा, पूर्वफाल्गुनी, उत्तरफाल्गुनी, मघा, पूर्वभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा ये नौ नक्षत्र उत्तर में दिखलाई देते हैं। नामकरण
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का प्रमुख स्थान है । जिस समय जातक का जन्म होता है उस समय के नक्षत्र के आधार पर नामकरण, राशि और महादशा का निर्धारण किया जाता है । इसके लिए नक्षत्रों के साथ अक्षर जुड़े हुए हैंचूचे चो ला
अश्विनी ली ल ले लो
भरणी आ ई उ ए
कृत्तिका ओ वा वी व
रोहिणी वे वो क की
मृगशिरा
आद्रों के को ह ही
पुनर्वसु
पुष्य
अश्लेषा मघा पूर्व फाल्गुनी उत्तरफाल्गुनी
डी डू डे डो मा मी मू मे मो टा टी टू टे टोप पी पू ष ण ठ पे पो रा री रू रे रो ता ती तू ते तो ना नीन ने नो या यी यु ये यो भा भी भूधा फा ढा भे भो जा जी खी खू खे खो गा गी गूगे गो सा सी सू से सो द दी
दू थ झन . दे दो च ची
14
चित्रा स्वाति विशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मूला पूर्वाषाढा उत्तराषाढा श्रवण धनिष्ठा शतभिषग पूर्वभाद्रपदा उत्तरभाद्रपदा रेवती
बंद.२२, अंक ३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org