Book Title: Tulsi Prajna 1993 02
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 8
________________ अनुक्रमणिका २७३ २८५ ५ ३९३ संपादकीय-बड़ली जैन शिलालेख का महत्त्व और उसका अक्षर विन्यास १. वर्द्धमान ग्रन्थागार, लाडनूं की प्रत् और ऋग्वेद का ग्रन्थानः परिमान २. जिनागमों का संपादन ३. रत्नपालचरित : एक साहित्यिक अनुशीलन ४. जिनसेनकृत हरिवंशपुराण में प्राचीन राजतंत्र का स्वरूप ५. डॉ० कृष्णदत्त बाजपेयी-श्रद्धांजलि ६. तेरापंथ का संस्कृत साहित्य : उद्भव और विकास-४ ७. न्याय-वैशेषिक, योग एवं जैन दर्शनों के संदर्भ में ईश्वर ८. स्याद्वाद : आधुनिक परिप्रेक्ष्य में ३०९ ३१६ ३१७ ३२३ 141 English Section 1.Copper Hoard-An unpublished find from Chithwari, Chomu 2. Victory over Sex (A Technique of Spiritual Science) 3. Rāghava Bhatta on Māgadhi in the Abhijñana Sākuntalam 4. The Mahavira Era 145 151 1-56

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