Book Title: Trishashtishalakapurushcharitammahakavyam Parva 8 9 Author(s): Hemchandracharya, Ramnikvijay Gani Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 8
________________ नवमा पर्व- सम्पादन मारे स्वतन्त्र करवानुं आव्युं छे. तेना पर श्रीरमणीकविजयजीए करेलु काम छे नहि. आ पर्वना सम्पादनमां मारे ३ प्रतिओनो उपयोग करवानो थयो छ : पाता., पाहे., पासं. ॥ आ त्रणे प्रतिओ पाटणनी छे, अने ते क्रमशः ताडपत्र प्रति (पाता.) हेमचन्द्राचार्य भण्डारनी प्रति (पाहे.) तथा संघभण्डारनी प्रति (पासं.) होवानुं स्मरण छे. मने तो ते प्रतोनी झेरोक्स नकलो वर्षों पूर्वे मळेली अने तेनी संज्ञा में ता०, हे. अने सं० एवी राखी छे. 'मु०' संज्ञा मुद्रित प्रति माटे छे. आ सम्पादन-प्रकाशन माटे जे ते भण्डारनी हस्तप्रतोनी झेरोक्स अथवा फोटोकॉपी लेवा देवा बदल ते ते भण्डारोना कार्यवाहकोनो आभार मानू छु. परिशिष्टमां श्लोकोनो पर्ववार अकारादिक्रम तेमज सूक्तिसंग्रह एम बे वानां आप्यां छे. विशेषनामोनी सूचि आपवी अनावश्यक जणाई छे.. अनुक्रमणिका तैयार करवाना तथा प्रूफवाचनना कार्यमां मुनि श्रीकल्याणकीर्तिविजयजीए सारी सहाय करी छे. हवे १०मुं पर्व तथा परिशिष्ट पर्व तैयार करवानुं रहे छे. देवगुरु-धर्मपसाये ते वेलासर थई शके तेवी भावना साथे - शीलचन्द्रविजय जैन उपाश्रय ओपेरा, अमदावाद वि.सं. २०६२, श्रावणी पूर्णिमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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