Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti Author(s): Lakshmivijay Publisher: Bhogilal Kalidas Shah View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना. हे सुज्ञजनो आ पृथ्वीतलने पावन करनार भास्वरवरकातस्वरसमान कान्तिमान् चोवीशमा तीर्थंकर श्रीमान् : दीरस्वामिना आ विद्यमान शासनमां श्रीगणधरादिक महान्पूर्वाचार्योए रचेला सूत्रादिकशास्त्रोने अनुसारे आ "श्रीप्रश्नोत्तरप्रदीप" नामनो ग्रन्थ रचायेलो छे. तेना पांच प्रकाश राखेला छे, तेमा पहेला प्रकाशमा ७३ प्रश्नो छे, बीजा प्रकाशमा ७१ प्रश्नो छे, त्रीजा प्रकाशमा ८२ प्रश्नो छे, चोथा प्रकाशमा ४५ प्रश्नो छे, अने पांचमा प्रकाशमां ६७ प्रश्नो छे, पांचे प्रकाशना मळी कुल ३३८ प्रश्नो छे, अने ते प्रश्नो विविध प्रकारना छे. तेमज परस्पर एकबीजानी साथे पाये संबंध राखे तेवां ते प्रश्नो छे, अने ते प्रश्नोनी अनुक्रमणिका पांचवाथी समजाशे. वळी ते प्रश्नोना प्रत्युत्तरो ते दरेक प्रश्नोनी साथे शास्त्रोना पुरावा सहित आपेला छे. तथा श्रीपर्युषणापर्वमा विशेषे करीने आवक श्राविकाओने करवा योग्य कृत्योने दर्शावनार “पर्युषणाष्टान्हिकाव्याख्यान" नामनो बीजो ग्रन्थ तथा वळी पांचमी गतिना दातार पांचजिनेश्वरोनी स्तुतिवाळो त्रीजो ग्रन्थ, एम ए त्रणे ग्रन्थो संवत १९५९ मां श्रीकपडवणजमां पूज्यपादपन्यासनी श्री मणिविजयजीगणि महाराजना लघुशिष्य पं० श्रीशुभविजयजीना शिष्य मुनिश्री लक्ष्मीविजयजीए भूरिश्रम लेइ रचेला छे, ते त्रणे ग्रन्थो सुश्रावक शा. मगनलाल उमेदचंदना वाचवामां आवेला छे, अने ते ग्रन्थोपर लोकोने रुचि थवाथी संघवी. भोगीलाल कालीदास सांकळचंदे छपावी बहार पाडेला छे. अने तेनी किंमत पण घणी जुज राखेली छे. माटे आ अमूल्य ग्रन्थोनो सुज्ञ भव्यजीवोएPage Navigation
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