Book Title: Tattvartha Sutra Nikash
Author(s): Rakesh Jain, Nihalchand Jain
Publisher: Sakal Digambar Jain Sangh Satna

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Page 303
________________ सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी परम पूज्य मुनिराज श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज के सतना वर्षावास योग की सर्वोत्तम फलश्रुति है 'सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी' पूज्य महाराज श्री के सान्निध्य में यह संगोष्ठी दिनांक 4, 5 एवं 6 सितम्बर 04 को 8 सत्रों में संपन्न हुई। जिसमें उद्घाटन सत्र से लेकर निरन्तर सातवें सत्र तक देश के विभिन्न स्थानों से पधारे 22 विद्वानों द्वारा अपने शोध आलेखों का निष्कर्ष रूप में वाचन किया गया। आचार्य उमास्वामी एवं तत्त्वार्थसूत्र पर केन्द्रित इस संगोष्ठी के प्रत्येक सत्र में जैन एवं जैनेतर प्रबुद्ध श्रोताओं की अच्छी उपस्थिति प्राप्त होती रही। अन्तिम सत्र समापन सत्र था। इस सत्र में जैन वाङ्मय के भण्डार को अपनी रचनाओं द्वारा श्रीमण्डित करने वाले सरस्वती के बरद पुत्रों का हार्दिक सम्मान सतना जैन समाज द्वारा दिन खोलकर किया गया । रात्रिकालीन सत्रों को छोड़कर प्रत्येक सत्र में परम पूज्य मुनि श्री प्रमाणसागर जी का पावन सान्निध्य विद्वानों और श्रोताओं के मन में हर्ष का संचार करता रहा और उनकी समीक्षात्मक टिप्पणियों ने संगोष्ठी को आध्यात्मिक ऊँचाईयाँ प्रदान की। उद्घाटन सत्र सहित तीन संगोष्ठियों श्री विद्यासागर सभागार, पुष्करिणी पार्क में तथा समापन सत्र सहित पाँच संगोष्ठियाँ जैन मन्दिर परिसर स्थित श्री सरस्वती भवन में सम्पन्न हुई। त्रिदिवसीय संगोष्ठी के आठों सत्रों का कुल समय 25 घण्टे रहा । जिसमें 19 घण्टे 30 मिनिट का समय आलेख तथा समीक्षाओं के वाचन में और 5 घण्टे 30 मिनिट का समय उद्घाटन व समापन की औचारिकताओं में व्यतीत हुआ। ' प्रस्तुत है सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी की एक संक्षिप्त झलक - दिनांक 04-09-04 शनिवार, स्थान श्री विधसागर सभागार, पुष्करिणी पार्क, सतना समय - प्रात: 8: 00 से 10: 00 बजे तक पुष्करिणी पार्क के समीप अस्थायी रूप से निर्मित श्री विद्यासागर सभागार में प्रात: से ही हलचल प्रारम्भ हो गई थी। शहनाई की मधुर ध्वनि के बीच सुनिश्चित समय पर परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज का शुभागमन हुआ। एक भव्य जुलूस जिसमें बाहर से पधारे कुछ विद्वानों सहित समाज बन्धु, माताएं व बहिनें थीं, के आगे-आगे पूज्य गुरुदेव थे। उनके आगे बैण्ड वादक अपनी मधुर ध्वनि प्रसारित करते हुय चल रहे थे। पाण्डाल में पूर्व उपस्थित जन समुदाय ने पूज्य मुनि श्री की आगवानी की। पूज्य मुनि श्री के साथ ब्रह्मचारी श्री अशोक भैया सहित अन्य ब्रह्मचारी भी थे। सिं. जयकुमार जैन ने माइक संभाला और पूज्य मुनि श्री को सादर नमोऽस्तु करते हुये कार्यक्रम प्रारम्भ करने की अनुमति मांगी। श्रीमती वन्दना जैन के बोल 'गुरुवन्दना' के रूप में हवा में गूंजे। डॉ0 ए. डी. एन. वाजपेयी, कुलपति कप्तान अवधेशप्रतापसिंह विश्वविद्यालय, रीवा ने सर्वप्रथम गुरुचरणों में श्रीफल अर्पित कर शुभाशीर्वाद लिया। तत्पश्चात् परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। दीप प्रज्वलन में प्रो0 राजकुमार जैन प्राचार्य वाणिज्य महाविद्यालय व प्रो० सुभाष जैन, प्राध्यापक वाणिज्य महाविद्यालय

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