Book Title: Tattvartha Sutra Nikash
Author(s): Rakesh Jain, Nihalchand Jain
Publisher: Sakal Digambar Jain Sangh Satna

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Page 318
________________ लस्वार्थतन-निका/ 362 अद्भुत नगर गजरथ यात्रा जब से होश संभाला है तब से आज 77 वर्ष पूरे हो गये हैं, आज तक सतना में इतना बड़ा जुलूस इतने भव्य स्वरूप में निकलते तो हमने अपने जीवन में नहीं देखा । ये उद्गार थे समाज के निवर्तमान अध्यक्ष वयोवृद्ध श्री जवाहरलालजी के। चाहे वह 90 वर्षीय वृद्ध हो या 40 वर्षीय युवा, या 10 वर्षीय बालक 27 नवम्बर 2004 का दिन सभी के लिये स्मृति के सुनहरे पृट पर अंकित हो जाने वाला दिन था । न सिर्फ जैन समाज बल्कि पूरे सतना नगर के लोग यह कह रहे थे कि 'हमने ऐसी गजरथ यात्रा जीवन में पहली बार देखी।' ___ परम पूज्य 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य तरुणाई के प्रखरवक्ता अध्यात्मयोगी परमपूज्य श्री प्रमाणसागर जी मुनि महाराज की महती अनुकम्पा से चातुर्मास के बाद बोनस के रूप में पूज्य मुनि श्री ने सतना समाज के निवेदन पर 'कल्पद्रुम महामण्डल विधान एव नगर गजरथ यात्रा' के आयोजन को अपना आशीर्वाद दिया। फिर क्या था? पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से समाज में ऊर्जा का संचार होना स्वाभाविक था। 17 नवम्बर से 27 नवम्बर तक श्री 1008 कल्पद्रुम महामण्डल विधान एवं नगर गजरथ यात्रा तथा 28 नवम्बर को भव्य पिच्छिका परिवर्तन के आयोजन की धमधाम से तैयारियों प्रारम्भ हो गई। अत्यन्त मनोहारी समोसरण की रचना, भव्य पण्डाल, पूरे समाज की सहभागिता और परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज का सानिध्य, मानो ऐसा लगता था कि पूरा नगर धर्मस्थल है, और विधान स्थल में साक्षात सरण विराजमान है। प्रतिदिन पूज्य गुरुदेव की धर्मदशना से न सिर्फ जैन समाज के लोग बल्कि अनेक जैनेतर बन्धुओं ने भी स्वयं के जीवन को धन्य बनाया। विधान का आयोजन समाज के पूरे उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ और अब निकलना था भगवान् जिनेन्द्र का रथ । आज 27 नवम्बर को प्रातः 12 बजे । रथ वो भी 22 फिट ऊंचा. 2 गजराजों सहित. आश्चर्य तो तब हुआ जब जिस नगर में दशहरे जैसे बड़े जुलूस में 14 फिट ऊँचाई से ज्यादा निकलने वाली मूर्तियों या ट्रक पर पाबन्दी है, जिस नगर में विद्यत की प्रमुख लाइने 16 से 18 फिट ऊँचाई पर मकड़ी के जाले की तरह फैली हो, वहाँ पर 22 फिट का यह रथ .....। मैं साक्षी हूँ इस बात का और पूरी प्रमाणिकता के साथ हमने स्वयं म. प्र. विद्युत मंडल के 4 अधिकारियों के साथ यात्रा मार्ग का 22 फिट के बांस को लेकर अवलोकन किया था। लगभग 150 जगह ऐसी थी जहाँ से विद्युत तार में 17-18 फिट में अवरोध हो रहा था। हम लोग मार्ग निरीक्षण करने के उपरान्त तथा विद्युत विभाग के बड़े अधिकारियों द्वारा परी तरह असमर्थता व्यक्त करने के उपरान्त विचार-विमर्श करने लगे कि क्यों न द्रोणगिरि से17 फिट का रथ मंगा लिया जाये और ऐसा विचार करते-करते पूज्य मुनि श्री के कक्ष में पहुंचे एवं अपनी मजबूरी व्यक्त की। पूज्य मुनिश्री ने कहा - कहाँ हैं एम. पी. ई. बी. के अधीक्षणयन्त्री। उन्हें हमारे पास ले आओ। अधीक्षणयन्त्री श्री पटेल जी आये और 22 फिट के रथ के लिये असमर्थता व्यक्त करने लगे, तभी पूज्य मुनि श्री ने कहा - 'आयोजन समिति ने जो मार्ग तय किया है, मार्ग वही रहेगा। 22 फिट ऊँचा जो रथ निर्धारित किया है. रथ वही निकलेगा। कैसे निकलेगा माप जानो। आपके मुख्यमंत्री जाने । आप व्यवस्था करोगे तो ठीक, नहीं भी तो ठीक लेकिन रथ 22 फिट का और उसी निर्धारित मार्ग से ही निकलेगा, यह तय है।'

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