Book Title: Tattvartha Sutra Nikash
Author(s): Rakesh Jain, Nihalchand Jain
Publisher: Sakal Digambar Jain Sangh Satna

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Page 323
________________ 267 / तत्कार्यसूत्र-निकव बीचोबीच तृतीय नेत्र का अंकन हुआ है। त्रिनेत्रधारी आदिनाथ की प्रतिमा में युक्ष गोवदन और यक्षिणी चक्रेश्वरी सहित चामरधारी आकृतियाँ व आकाश में उड़ते हुए गन्धर्व मिथुन भी अंकित हैं। 2. सिद्धनाथ सीरा पहाड से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर सिद्धनाथ नामक स्थान है। यहाँ से प्राप्त गुप्तकालीन जैन प्रतिमाएँ अब सलेहा जैन मन्दिर में विराजमान हैं। 3. मोहेन्द्रा - पन्ना जिले का यह छोटा सा ग्राम भी पुरातात्त्विक सम्पदा में अत्यन्त धनी है। यहाँ एक संग्रहालय बनाकर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। 4. बड़ागांव - रीवा शहर से लगभग 20 कि0 मी0 की दूरी पर गुर्गो का प्रसिद्ध शैवमठ है। इस मठ के पास astra के समीप ही एक जैन केन्द्र था, जिसका विकास कलचुरिकाल में हुआ जो यहाँ कालदोष से नष्ट हो गया। यहाँ की कुछ प्रतिमाएँ रीवा के जैन मन्दिर में विराजमान हैं। रीवा जिले के अन्तर्गत ही गुढ और चोरहटा ग्रामों में भी कुछ जैन शिल्प प्राप्त होते हैं। गुढ के सकटमोचन मन्दिर से प्राप्त दो विशाल जिनबिम्ब रामवन संग्रहालय में संग्रहीत हैं। सतना जिले की दक्षिणी सीमा पर बरही, कारीतलाई, मनौरा आदि अनेक ऐसे स्थल हैं, जहाँ से प्राप्त जैन शिल्प रायपुर, जबलपुर आदि सग्रहालयों को समृद्ध बना रहा है। से इस प्रकार सतना जिले मे और उसके आसपास गुप्तकाल से लेकर कलचुरी तथा चन्देलकला तक के एक बढ़कर एक जैन शिल्पावशेष उपलब्ध होते हैं। इन स्थलों का व्यापक सर्वेक्षण होना आवश्यक है। सतना जिला स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी सहना ऐक्स-2005 दिनांक 28 जनवरी 200 को न COVE wwwwww ATRAPEN 200 20- JANKAR2000 Soporony प्रो० कमलापति जैन पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रा० भा० इ० सं० एवं पुरातत्व, कला महाविद्यालय, अमरपाटन .. श्री प.पू. मुनिराज श्री १०८ प्रमाण श्री. Chrome) C

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