________________
मो.मा. प्रता भए ही मोक्षमार्ग कहा है। ताते यह जानना-तत्त्वश्चद्धान विना तो रागादि घटाए | प्रकाश मोक्षमार्ग नाहीं अर रागादि घटाए विना तत्वश्रद्धानज्ञानतें भी मोक्षमार्ग न्यहीं । बीनौं ।
| मिले साक्षात् मोक्षमार्ग हो है। ___अब इनका निर्देश अर लक्षण निर्देश अर परीक्षाद्वारा निरूपण कीजिए है। ती | “सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यक्चारित्र मोक्षमार्ग है," ऐसा नाम मात्र कथन सो तो 'निर्देश जानना । बहुरि अतिव्याप्ति अव्याप्ति असंभवपनाकरि रहित होय, जाकरि इनको पहचानिये,
सो लक्षण' जानना। ताका जो निर्देश कहिए, निरूपण सो ‘लक्षण निर्देश जानना । तहाँ । | जाको पहचानना होय, ताका नाम लक्ष्य है । उस विनाऔरका नाम अलक्ष्य है । सो लक्ष्य ।। या अलक्ष्य दोऊविषै पाइए, ऐसा लक्षण जहां कहिए तहां अतिब्यातिपनी जानना । जैसें ॥ आत्माका लक्षण 'अमूर्तत्व' कल्ला । सो अमूर्तत्व लक्षण है, सो लक्ष्य जो है आत्मा तिसविरे भी पाइए है अर अलक्ष्य जो हैं आकाशादिक तिनविषै भी पाइए । ता यह 'अत्रिव्या लक्षण है । याकरि आत्मा पहचानें आकाशादिक भी आत्मा होय जाय, यह दोष लागे । । बहुरि जो कोई वक्ष्यविर्षे त्यो होय अर कोईविषै न होय, ऐसा लक्ष्यका एकदेशविषै पाइए,
ऐसा लक्षण जहां कहिए, तहां अध्याप्तिपना जानना। जैसे--आत्माका लक्षण केवलज्ञान | कहिए, सो केवलज्ञान कोई यात्माविधै त पाइए, कोईविध न पाइए, ताते यह 'अव्या
-
- gdoorcobacoodakuokarook.cFOOOcroopsootropcook0cook00REC-0010001003/6fookKo-04880018000-360
RA