Book Title: Tao Upnishad Part 03 Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House Puna View full book textPage 9
________________ 135 155 175 44. धार्मिक व्यक्ति अजनबी व्यक्ति है 45. संत की वक्रोक्तियां: संत की विलक्षणताएं 46. क्षुद्र आचरण नीति है, परम आचरण धर्म 47. ताओ है झुकने, खाली होने व मिटने की कला 48. समर्पण है सार ताओ का 49. ताओ है परम स्वतंत्रता 50. न नया, न पुराना; सत्य सनातन है 51. सदगुण के तलछट और फोड़े 52. वर्तुलाकार अस्तित्व में यात्रा प्रतियात्रा भी है 53. स्वभाव की उपलब्धि अयात्रा में है 54. अद्वैत की अनूठी दृष्टि लाओत्से की 55. प्रकाश का चुराना ज्ञानोपलब्धि है 56. शिष्य होना बड़ी बात है 57. श्रद्धा, संस्कार, पुनर्जन्म, कीर्तन व भगवत्ता 58. सनातन शक्ति, जो कभी भूल नहीं करती 59. संस्कृति से गुजर कर निसर्ग में वापसी 60. प्रकृति व स्वभाव के साथ अहस्तक्षेप 61. खेदपूर्ण आवश्यकता से अधिक हिंसा का निषेध 62. युद्ध अनिवार्य हो तो शांत प्रतिरोध ही नीति है 63. विजयोत्सव ऐसे मना जैसे कि वह अंत्येष्टि हो 64. मार्ग है बोधपूर्वक निसर्ग के अनुकूल जीना 193 211 231 251 273 291 307 331 351 373 393 VIIPage Navigation
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