Book Title: Syadvadarahasya Part 3
Author(s): Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 2
________________ मध्यमस्यावादरहस्ये बण्डः-३ का.५ हे शारने मा.... ... ... ... (२) तता से हमें तार दे मा... हे. jार की देवी से संजीत तुज से हर मोरे, हर जीव तुज से हमे है अकेले, हम हैं अधूरे मेरी शरत में हमें चार से मा..हे. सुनियोंने समझी, गुणियो को lott संतो को भाषा, आगमों की वानी हम भी तो समझे, हम तो जाने विद्या का हाको Etcार दे मा...हे. तु विधी कगल ऐ बिराजे हाथों में वीणा, मुना सर पे का माल से हारे मिटा शेरे 6मको उजालों का परिवार दे मा...हे. ग्रंथशरीरपरिचय पत्रक्रमांक प्रकाशकीय वक्तव्य अवतरणिका विषयानुक्रम प्रस्तुत प्रकरण - तृतीय खण्ड परिशिष्ट १ से २ | ५४९-८८४ ८८५-८९१ संशोधक न्यायादिशास्त्रमर्मज्ञ तपोस्त मुनिप्रवरश्री पुण्यरत्नविजयजी महाराज कोम्युटर्स टाईए सेटींग 卐 प्रथम आवृति ] श्री पार्श्व कोम्प्युटर्स, • वि.सं. २०५२ | २३, चार सोसायटी, केजरत्न पर, मूल्य: क.१४५.०० धोडासर, अहमदावाद-1000१0. नकल - ६०० प्रोन :- 396246 सर्वाधिकार श्रमणप्रधान -श्री श्वेतांबरमूर्तिपूजक जैन संघ के स्वाधीन नांध :- बह ग्रंब लामिक जयनाराक मन साधु यावानी भगवंत की भेट रूप में मिल सकेगा । ताननिधि में प्रस्तुत पुस्तक का मुद्रण माग म बिना न के गृहस्प र पुस्तक को अपनी मालिकी में नहीं रख सकते ।

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