Book Title: Swami Dayanand aur Jain Dharm
Author(s): Hansraj Shastri
Publisher: Hansraj Shastri

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Page 8
________________ 'सज्जनो प्रस्तुत पुष्पमें जो कुछ लिखा गया है वह किसी 'पर आक्षेप करने या किसीका दिल दुखाने के उद्देश्यसे नही लिखा गया और नाहीं हमारा यह सर्वथा विचार है । इसपर ' भी यदि किसी के हृदयको दुःख पहुंचे तो हम विवश है वह -कृपया हमे क्षमा प्रदान करें । : अब हम इस लेखको यहांपर ही समाप्त करते हुए अपने चिरस्मरणीय पितृकल्प श्रीयुत पंडित हीरालालजी शर्मा और 'परममित्र श्रीयुत लाला चूनी लालजीको सहस्रशः धन्यवाद । देते हैं कि जिनकी कृपासे हमें इस प्रकार के ग्रंथों के लिखनेका - सौभाग्य तथा साहस प्राप्त हुआ है । अंतमें विद्वानोंसे हमारी नम्र प्रार्थना है कि प्रस्तुत 'पुष्पमें यदि कोई मूल या त्रुटी रह गई हो तो उसके लिए वे कृपया हमें सूचना दें ताकि आगामी संस्करणमें वह दूर की जाय । विजयदशमी - विक्रम १९७१ विमल सहचर "हंस" बम्बई. 1 " 1915

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