Book Title: Surchandra Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Hiralal Hansraj Shravak

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Page 3
________________ सूरचंद्र ॥ १ ॥ -छ ॥ श्रीजिनाय नमः || ॥ श्रीसूरचंद्रचरित्रम् ॥ छपात्री प्रसिद्ध करनार - पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा) 6 पापध्वान्तभिदस्तस्य सम्यक्त्वस्य वेरिव । राशिव द्वादशश्राद्रवतान्या भोगवृत्तये ॥१॥ अर्थः- पापोरूपी अंधकारनो नाश करनारा सूर्यसरखा ते समकीतनी राशिओोसरखा भोगवा माटेनां श्रावकना वार व्रती छे. १ निरागस्त्रसहिंसाङ्गपीडारक्षणलक्षणम् । प्रथमं तेष्वहिंसाख्यं श्रादानां स्यादणुव्रतम् ॥२॥ अर्थः- तेओमां पहेलुं निरपराधी त्रस जीवोनी हिंसा न करवारूप, तथा तेनां शरीरने पीडा न उपजाववारूपा नामनुं श्रावकोनुं पहेलं व्रत होय छे. ॥२॥ 4X-R चरित्रं ॥ १ ॥

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