Book Title: Sukhi hone ki Chabi Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth Publisher: Shailesh Punamchand Shah View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना अनंत अनंत काल से संसार सागर में भटकते जीव को, भगवान द्वारा कथित दुर्लभताओं (मनुष्यभव, आर्यक्षेत्र, उत्तम कुल, दीर्घ आयु, पूर्ण इन्द्रियाँ, नीरोगी शरीर, सच्चे गुरु, , सच्चे शास्त्र, सच्ची श्रद्धा अर्थात् सम्यग्दर्शन और मुनिपना) में से शुरुआत की आठ दुर्लभताएँ हमें अनंत बार मिली हैं, तथापि अपने जीव की अर्थात् अपनी दिशा नहीं बदली। कोल्हू के बैल की तरह चारों गति में परिभ्रमण करते रहे परंतु पंचम गति अर्थात् मोक्ष के लिए प्रगति नहीं हुई। इसका कारण ज्ञानियों ने ऐसा बताया है कि आठ दुर्लभताएँ मिलने के पश्चात् यदि जीव नौवीं दुर्लभता न पाए अर्थात् आत्मअनुभव (स्पर्शना) न करे अर्थात् सम्यग्दर्शन न पाए तो संसार का फेरा मिटता नहीं अर्थात् मोक्ष प्राप्त नहीं होता। अतः यहाँ प्रस्तुत है 'सुखी होने की चाबी' आत्मा प्राप्त करने का एक अति वेधक, सचोट और सीधा इलाज । लेखक श्री जयेशभाई शेठ, व्यवसाय से चार्टड एकाउंटंट हैं। उन्होंने अपने वर्षों के वांचन, चिंतन, मनन, अभ्यास और अनुभव को आचरण में लाने के पश्चात्, इस मानव समाज के कल्याणार्थ करुणा से शास्त्रों के आधार से सनातन सत्य द्वारा आत्म प्राप्ति का सरल मार्ग दर्शाया है। कितने ही आगम पढ़ते हुए, प्रस्तावना : IIIPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 59