Book Title: Stree Charitra Part 01 Author(s): Narayandas Mishr Publisher: Hariprasad Bhagirath View full book textPage 2
________________ भूमिका श्लोकः। * राज्ञश्च चित्तं कृपणस्य वित्तं मनोरथं दुर्जनमानसस्य / स्त्रियश्चरित्रं पुरुषस्य भाग्यं देवो न जानाति कुतो मनुष्यः॥ राजाका चित्त, कृपणका वित्त (घन ), दुर्जन मनुष्यके मनका मनोरथ, स्त्रियोंका चरित्र, मनुष्यका भाग्य, देवभी नहीं जानताहै, तो . मनुष्यका क्या कहना. यह "स्त्रीचरित्र" नाम पुस्तक स्त्रियों और पुरुषोंको मन बहलाने के निमित्त लिखी गई है. केवल. मन बहलानाहीं नहीं, किन्तु इसको पटकर दुष्ट स्त्रियोंके चरित्रसे सुशील रियों और सज्जनोंको बचना चाहिये. इस पुस्तक के लेख में यंत्र तंत्र उपदेश लिखे गये हैं. इस कारण यह पुस्तक 'रसिक जनोंके मनको प्रसन्न करनेवाली है. इसके द्वितीय भागमें पतिव्रता त्रियों और वीर वीर महारानियोंके चरित्र लिखे जायेंगे. कि जिस्से मियोंका बहा उपकार होगा. इस पुस्तकका सर्वाधिकार स्वर्गीय पंडित हरिप्रसाद भगीरथजीके पुस्तकालयाध्यक्ष वृजवष्ठम हरिप्रसादजीको दिया है। पं० नारायणप्रसादजी मिश्र। PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun.Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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