Book Title: Sramana 2013 01
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 50
________________ १२वीं से १५वीं सदी के मध्य जैन .... : 43 द आर्किटेक्चरल एण्ड आर्कियोलॉजीकल रीमेन्स इन द प्रोविंसेज ऑफ कच्छ, दलपत राम प्राणजीवन खक्कर, १९७८, पृ०-६५ २५. गजेटियर ऑफ द बाम्बे प्रेसिडेन्सी, काठियावाड़, पूर्वोक्त, पृ० १९०,१९१, ४३९ २६. वही, पृ० ४४०-४१ २७. वही, गुजरात समाचार, २९-९-२०११ २८. मोहनलाल डी देसाई, ए शार्ट हिस्ट्री ऑफ लिटरेचर, भावनगर, १९३३, पृ० ४२९ २९. दौलत सिंह लोढा, मंत्रिमण्डल एवं उसका गौरवशाली वंश (सौ धर्म-वृहत्पोक्षीय, श्वेताम्बर श्री संघ, पृ० १३१-३२) ३०. वही, पृ० १३१-१३१ ।। ३१. मोतीचन्द्रः सार्थवाह (प्राचीन भारत की पथ पद्धति) बिहार-राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, १९५३, पृ० १६४;, दौलत सिंह लोढा, पूर्वोक्त, पृ०-१३२ ३२. कृष्णदत्त वाजपेयी, भारतीय व्यापार का इतिहास, पृ०-९ ३३. ज्योति प्रसाद जैन, प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरूष व महिलाएं, पृ० २४६-४७ ३४. मोहन लाल दलीचन्द देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४७६, ४८४; आर.जी.भंडारकर, रिपोर्ट ऑन द सर्च ऑफ संस्कृत मैनुस्क्रिप्ट्स इन बाम्बे, १८८३-८४, बंबई, १८८७, पृ० १२६ ३५. एस०आर० शर्मा, ठाकुर फेरूज रायानपारिख, अलीगढ़ जर्नल ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, अलीगढ़, १९८४, पृ०-४ ३६. ठाकुर फेरू श्रीमालकुल के श्रीदंध गोत्र से संबंधित थे और श्वेताम्बर जैनियों के खरतरगच्छ के सदस्य थे। एस०आर० शर्मा, पूर्वोक्त, पृ०-२० ३७. एस०आर० शर्मा, पूर्वोक्त, पृ०-२२ ३८. जैन हितैषी, बंबई, पंद्रह, पृ०-१३२ ३९. डेर जैनिज्मुस, पृ०-६६ ४०. खरतरगच्छ पट्टावलि, पृ०-६४ ४१. बनारसी दास, अर्धकथानक, अनु., मुकुन्दलाल, जयपुर, १९८१, पृ०-१०८ ४२. कुमार सुरेश सिंह, राजेन्द्र बिहारी लाल, एन्थ्रोपोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, पृ० ९३९०, गुजरात। ४३. समरशाह या समर सिंह, सिद्धसूरी के शिष्य थे तथा उत्तरी गुजरात में पाटन के रहने वाले ओसवाल जाति से सम्बन्धित थे। मेरूगिरि (या कक्कासूरी), नाभिनंदन जीर्णोद्धार प्रबंध, सम्पा०, भगवान दास हरकचंद, हेमचन्द्र आचार्य ग्रंथमाला, अहमदाबाद, १९२८, भाग तीन, पद १३ सी०बी० सेठ, जैनिज्म इन गुजरात, बंबई, १९५३, पृ० १७२-१७५; मोहनलाल डी देसाई, पूर्वोक्त। ४५. नाभिनंदन जीर्णोद्धार प्रबंध, पूर्वोक्त, खण्ड-५, पद ३२१; के०एच० कामदार का लेख- समरसिंह, ए ग्रेट गुजराती ऐट द कोर्ट ऑफ डेहली, प्रोसीडिंग्स ऑफ ओरिएंटल कांफ्रेस ऑफ बड़ौदा, पृ० ६२९-३३

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