Book Title: Sramana 2000 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 183
________________ १७८ १८ नवम्बर को आचार्यश्री ससंघ संस्थान में पधारे। उनके ही सान्निध्य में उपाध्याय यशोविजय स्मृति मन्दिर तथा आचार्य राजयशसूरि विद्याभवन का • उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ। इसी समय संस्थान के निदेशक महोदय ने आचार्यश्री के समक्ष पार्श्वनाथ विद्यापीठ ज्ञानरथ निकालने का भी प्रस्ताव रखा ताकि संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के संचालन हेतु एक अच्छी धनराशि एकत्र की जा सके। पर्याप्त विचार-विमर्श के पश्चात् श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन एवं श्री इन्द्रभूति बरड़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकृत किया। आचार्यश्री और बेन महाराज के पुनीत सहयोग से पार्श्वनाथ ज्ञान रथयात्रा का संयोजन हुआ और एक वाहन पर आचार्यलब्धिसूरि जी म०सा०, आ० विक्रमसूरि जी म०सा०, विद्यापीठ के संस्थापक लाला हरजसराय जी, मन्त्री - माननीय श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन आदि के चित्रों को लगाकर उसे रथ का रूप देकर आचार्यश्री संघ में सम्मिलित कर लिया गया। आचार्यश्री २१ नवम्बर को संस्थान से नागपुर के लिये विहार कर गये । उनके साथ प्रस्तुत ज्ञानरथ का अच्छा प्रभाव पड़ने की भी सूचना प्राप्त हुई है। ८ दिसम्बर को संस्थान के मन्त्री श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन के जन्म दिवस पर मातृश्री रेणुदेवी जैन भोजनशाला का विधिवत शुभारम्भ किया गया। इस भोजनशाला में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जैन छात्र तथा विद्यापीठ के छात्र एवं कर्मचारी मात्र ११ /- रुपये में शुद्ध शाकाहारी भोजन प्राप्त कर रहे हैं । ९ नवम्बर को संस्थान के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' ने नागार्जुन विश्वविद्यालय, गुण्टूर, आन्ध्रप्रदेश में आयोजित 'चयनसमिति' की बैठक में भाग लिया। वाराणसी की नवोदित संस्था ज्ञानप्रवाह में २० दिसम्बर से ३ जनवरी तक आयोजित पाण्डुलिपि विज्ञान की कार्यशाला में सम्मिलित होने वाले बाहरी विद्वानों के आवास आदि की व्यवस्था विद्यापीठ में ही की गयी। इस कार्यशाला में आहूत विद्वानों में प्रो० सुरेशचन्द्र पाण्डे, इलाहाबाद; डॉ० एस०आर० शर्मा, अलीगढ़; डॉ० रस्तोगी, लखनऊ; प्रो० धर्माधिकारी, पुणे आदि का विभिन्न अवसरों पर विद्यापीठ में स्वागत किया गया एवं उनके व्याख्यान भी आयोजित किये गये । २२ दिसम्बर को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला सङ्काय की ओर से विद्यापीठ में Mass Media पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें हिसार के प्रो० कटियार का स्वागत व व्याख्यान हुआ । २३ दिसम्बर को राष्ट्रीय मानव संस्कृति शोध संस्थान के कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक सम्मिलित हुए और वहां उन्होंने पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० प्रेमचन्द पातञ्जलि से विद्यापीठ के सन्दर्भ में आवश्यक विचार-विमर्श किया । २४ दिसम्बर को स्थानीय मैत्री भवन में 'अवतारवाद' पर आयोजित संगोष्ठी में भी उन्होंने भाग लिया और उक्त विषय पर जैन धर्म सम्बन्धी विचार व्यक्त किये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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