Book Title: Sramana 2000 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 186
________________ १८१ वर्ग 'ग' प्रथम पुरस्कार विजेता अभिषेक नाग, बंगाली टोला द्वितीय पुरस्कार विजेता अंकिता उपाध्याय, गोपीराधा बालिका विद्यालय तृतीय पुरस्कार विजेता कु० शिल्पा रायचौधरी, वसन्त कन्या महा० १० सान्त्वना पुरस्कार प्राप्त प्रतियोगा १- सुधा श्रीवास्तव, डी.रे.का.इ.का. २- आकांक्षा उपाध्याय, गो०रा०बा०वि० ३- दिलीप कुमार सिंह, डी.रे.का.इ.का. ४. मधुप्रिया बनर्जी, डब्ल्यू०एच०स्मिथ ५- एकता, सी०एच०जी०एस०६- कु० अंकना, सी०एच०जी०एस० ७- नेहा गुप्ता, डब्ल्यू०एच० स्मिथ ८- नेहा अग्रवाल, वसन्त कन्या महाविद्यालय ९- रंजना शर्मा, डी.रे.का.इ.का. १०- पूजा सिंह, वसन्त कन्या महाविद्यालय इनके अतिरिक्त जिन २२२ प्रतियोगियों के चित्रों को प्रदर्शनी में लगाया गया उन्हें भी स्मृतिचिह्न, प्रमाणपत्र, मिष्ठान्न आदि भेंट कर सम्मानित किया गया। आचार्यश्री एवं सभी दर्शकों ने प्रदर्शनी में लगाये गये चित्रों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए चित्रकला प्रदर्शनी के संयोजक डॉ० अशोककुमार सिंह और उनके सहयोगियों के अथक परिश्रम की सराहना की। वाराणसी नगर के विभिन्न छोटे-बड़े विद्यालयों, महाविद्यालयों के अधिकारियों ने भी इसमें सक्रिय सहयोग देते हुए अपने यहां के छात्र-छात्राओं को इसमें भाग लेने के लिये प्रेरित कर प्रशंसनीय कार्य किया। रंगोली प्रदर्शनी आचार्यश्री विजयराजयशसूरीश्वर जी म०सा० की प्रेरणा से वाराणसी में प्रथम बार रंगोली प्रदर्शनी का भव्य आयोजन किया गया। मुम्बई निवासी सुप्रसिद्ध रंगोलीकार श्री रमणीक भाई शाह द्वारा १५ दिन के अथक् परिश्रम से तैयार इस रंगोली का उद्घाटन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो० रामजन्म सिंह द्वारा ८ नवम्बर को आचार्यश्री के सान्निध्य में हुआ। पार्श्वनाथ जन्मस्थान मन्दिर में आयोजित भव्य अंजनशलाका महोत्सव के अवसर पर पधारे अनेक लोगों ने विद्यापीठ में आकर इसका अवलोकन किया। श्री राजेन्द्र भाई दलाल, हैदराबाद; श्रेष्ठीवर्य श्री श्रेणिक भाईअहमदाबाद और श्री राजकुमार जैन, मन्त्री- वल्लभ स्मारक मन्दिर, दिल्ली भी इसी निमित्त विद्यापीठ में पधारे जहाँ प्रो० भागचन्द्र जैन एवं अन्य अधिकारियों ने उनका हार्दिक स्वागत करते हए यहां की गतिविधियों से परिचित कराया। ज्ञातव्य है कि संस्थान में चित्रकला एवं रंगोली प्रदर्शनी २१ नवम्बर २००० तक लगी रही और बड़ी संख्या में लोगों ने इसका अवलोकन किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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