Book Title: Sramana 1992 04 Author(s): Ashok Kumar Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 2
________________ प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन सम्पादक डा० अशोक कुमार सिंह सहसम्पादक डा० शिवप्रसाद वर्ष ४३ अप्रैल-जून १९९२ अंक ४-६ प्रस्तुत अंक में १. गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास --प्रो० सागरमल जैन १ २. जैन दर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध --डा० सुदर्शन लाल जैन २७ ३. जालिहरगच्छ का संक्षिप्त इतिहास --डा० शिवप्रसाद ४१ ४. प्राकृत जैनागम परम्परा में गृहस्थाचार तथा उसकी पारिभाषिक शब्दावली --डा० कमलेश जैन ४७ ५. त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित में प्रतिपादित सांस्कृतिक जीवन --डा० उमेशचन्द्र श्रीवास्तव ६९ वार्षिक शुल्क चालिस रुपये एक प्रति दस रुपया यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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