Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 2
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 416
________________ [ आ आ ] अरहत्तमग्गक्खणे - ५५ अरहत्तमग्गी- ५५, १३४, १४८ अरहत्तसिद्धि - २१० अरहन्ति - ५३, ५४, २१०, २११ अरहाति - १५९ अराति - १३४ अरानन्ति - १८ अरियपुग्गला - १५० अरियफलं - ३० अरियमग्गोति- २४२ अरियविहारा - ३ अरियसच्चदस्सनं - १५८ अरियसच्चधम्मो - २४३ अरियो - १६६, ३५९ अरियं - २५२, ३१६ अरीनन्ति - - १८ अरूपज्झानन्ति - ३५९ अरूपज्झानलाभीति - १२२ अरूपधम्मा - ७९ अरूपभवन्ति - १३३ अरूपावचरकम्मे - ३८२ अरूपावचरज्झानं - ३८२ अरूपावचरलोको - ५७ अलङ्कारविधिं - ३० अलाबुकटाहन्ति - २१७ अलोभो - ९७, २६८ अल्लकप्परट्ठन्ति - २९९ अल्लवेळुवण्णोति - १२५ अल्लापो - ३७१ अवकंसो -३९ अवमानन्ति - ७ अवसरितब्बन्ति - - १७८ अवसित्तोति - ६८ अविक्खित्तचित्तोति - ५१ असब्भिवाक्यन्ति - १७८ असम्पवेधी - २०२ Jain Education International सद्दानुक्क असम्मोहधुरं - ९४ असामपाका- २३३ अन्ति - ३६८ असंकिण्णानि - २८४ अस्सद्धो- - १६४, २७० अस्सवाति - ३७३ अहतानन्ति - ३७८ अहेतुकवादाति - ४१ आ आकप्पो - ३४६ आकरोति - २७३ आगमनमग्गोति- १२० आचरियको - ३४१ आचरियकं - १९४, ३४१ आचारो - आजीवका - ३८ - १४, २१४ आजीवट्ठमकसीलं - २९६ आजीवपारिसुद्धिसीलं - ६७ आजीवसम्पदाति- १६४ आजीवोति - १६२ आणण्यनिदानं - ११० आणत्तियन्ति - ५० - आतङ्को – ३५६ आथब्बणवेदो - १९०,१९२ आदिकल्याणता - ६१ आदिच्चगोत्तं - २१७ आदिच्चबन्धुं - १८६ आदिब्रह्मचरियकन्ति - ३४२ आदिब्रह्मचरियकसीलं - २९७ आदिमज्झपरियोसानन्ति - ६०, १४२ आदीनवन्ति - - ३६१, ३७९ आदेसनापाटिहारियं - ३६४ आधारभावतो - १८२ आनन्तरियकम्मानि - १७१ 5 For Private & Personal Use Only [4] www.jainelibrary.org


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