Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 2
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

View full book text
Previous | Next

Page 434
________________ [प-प] सद्दानुक्कमणिका __ [२३] परियोदातताति-१२१ परियोनन्धन्तीति-३७९ परिवट्टो-४९ परिवत्तितेति-२२८ परिवितक्कोति-२७० परिसप्पनं-११३ परिसुज्झनन्ति-२५८ परिसुद्धताति-७०, २५२ परिसुद्धन्ति -६५,७०,१२१, २५२ परिस्सन्तकाया-३०० परिस्सया-१०१,२७७, २७९ परिहरन्तोति-३३९ पलिबुद्धोति-३९, १०७, ३६० पलेतीति-३९ पल्लङ्केति-७३ पल्लङ्को-७३, १०७, २१८ पल्लोमोति-२२७ पवत्तपरिवितक्को-३२६ पवत्तफलभोजिनो -२३३ पवत्तानि-९३ पवत्तेन्तो--५८, १४२,२८२,३३५ पवेणीधम्मो-२७ पवेसितो-११४ पसतमत्तन्ति-२६९ पसन्नचित्तो-३५६ पसादाभिवुद्धिया -३१९ पस्सद्धीति-३४७ पस्ससुखं-७५ पहतन्ति-४५ पहातब्बधम्मानं-३०८ पहीनकिलेसपच्चवेक्खणदस्सनं -१३७ पहूतजिव्हाय-२४० पहूतभावन्ति-२३९ पाकटमन्तनन्ति-२३६ पाचरिया-२१४ पाचीनमुखाति-२९० पाचीनाभिमुखा- २२३ पाटिपददिवसेति - १७६ पाटिहारियन्ति-३६३ पाणवधोति-२७४ पाणाति-३५ पाणिनीब्याकरणचन्द्रव्याकरणादि-१९२ पाणुपेतोति-१६५ पातब्बतन्ति-३०६ पातिमोक्खसंवरसंवुतभावस्स-६६ पातिमोक्खसंवरसंवुतो-२, ६७ पातेसीति-२४१ पापकम्म-२५३ पापधम्मतो-२८० पापधम्मानं-२४३,२८० पापनिज्जरलक्खणं-४५ पापभिक्खु-२२० पाभतन्ति-२२३, २६६ पामोज्जं-११०,१११,११५, ११६, २१३, ३४७ पारगूति-१९० पारन्ति-१८० पारमितानुभावसिद्धिदस्सनं - २५२ पारमियो-१८, २५२ पारमीसम्भरणजाणं-२७ पारिजुलं- १८७, १८८ पारिसज्जा-२६८ पारिसुद्धिविभागञ्च -३२० पावचनन्ति-३८० पासादिको-२४५, २४८, ३१८ पासादो-१०४,१३२ पाहुनकाति-२५५ पाहुनकानन्ति- २२८ पिण्डदायका-२९ पितामहयुगो-२४७ पितुगुणन्ति-८ पित्तरोगातुरो- ११२ पियजातिकाति-३७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456