Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 2
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 415
________________ [४] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गअभिनवटीका-२ [अ-अ] अपायभूमिन्ति-१६० अपायमगं-३८० अपायविनिमुत्तकं- १४८ अपारन्ति-३७७ अपारुता-१४ अपेक्खासिद्धि-२९१ अप्पकेनपीति-२६६ अप्पटिकूलन्ति-१४९ अप्पतिट्ठा-१३९ अप्पतिट्ठाभावो- १३९ अप्पत्थतरोति-२७५ अप्पनालक्खणो-११७ अप्पनासमाधि-११७ अप्पनासमाधिनाति-११७ अप्पनासुखं-११७ अप्पनिग्घोसन्ति-१०३ अप्पपुञतायाति-३०५ अप्पमादो-३२२ अप्पवत्ति-३४२ अप्पसद्दन्ति - १०३, ३२७ अप्पाटिहीरकं-३४६ अप्पोदकन्ति-३५५ अब्भन्तरन्ति-२७३ अब्भानुमोदनेति-१४३ अब्भोकासोति -६५, १०७ अब्यापज्झन्ति-२८४ अब्यासेकसुखन्ति-७० अब्रह्मचरिया-२८१ अभयगिरिवासिनो-७१ अभयाति-२६७ अभिक्कन्ततरोति-१४३ अभिजाननायाति-३४२ अभिज्झा-१०८ अभिजातकोलो -२१२ अभिजाति - ५९ अभिज्ञादेसनाय-३५८ अभिधम्मे-१०५,१०९ अभिनीहरतीति - १२४ अभिभूतत्ताति-३४१ अभिमारेति-२२ अभिरूपेति-१४३ अभिसङ्घतभावं-३५६ अभिसङ्घरोतीति-३३४, ३३५ अभिसञानिरोधो-३३२ अभिसन्देतीति-११७ अभिसम्परायोति-३९ अभिसम्बुद्धोति-१७० अभिसम्बोधि-१६ अभिसेकविधानविनिच्छयो-६८ अभिहरन्तोति-७१ अभिहारोति - ४८ अभिहितकम्मं -२७४ अभेददस्सनं -१५७ अमक्खेत्वाति-६३ अमलीनचित्तता-२८६ अमलीनन्ति-६५ अम्बट्ठसुत्तन्ति-१७२ अम्बट्ठोति-२२७ अम्बलट्ठिकाति-२६२ अम्बविमाने -१६३ अम्बिलग्गन्ति-१६४ अम्बिलयागु-२३३ अयकण्टकेति-३१४ अयकारो-३० अयमुट्टिका-२३३ अयानभूमिन्ति-२१२ अरणीति- २३१ अरहतीति-३०, २१०, २१३, २४८, २८९, ३४७, ३७३ अरहत्तन्ति-३०१ अरहत्तफलन्ति-३३८ अरहत्तफलसमापत्ति - १२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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