Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 1
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
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(१.१.१४९-१४९)
सासनपट्ठानवण्णना
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सासनपट्ठानवण्णना
इदं पन सुत्तं सोळसविधे सासनपट्ठाने संकिलेसवासनासेक्खभागियं तण्हादिठ्ठादिसंकिलेसानं सीलादिपुञ्जकिरियस्स, असेक्खसीलादिक्खन्धस्स च विभत्तत्ता, संकिलेसवासनानिब्बेधासेक्खभागियमेव वा यथावुत्तत्थानं सेक्खसीलक्खन्धादिकस्स च विभत्तत्ता । अट्ठवीसतिविधे पन सासनपट्टाने लोकियलोकुत्तरं सत्तधम्माधिट्टानं आणजेय्यं दस्सनभावनं सकवचनपरवचनं विस्सज्जनीयाविस्सज्जनीयं कम्मविपाकं कुसलाकुसलं अनुञातपटिक्खित्तं भवो च लोकियलोकुत्तरादीनमत्थानं इध विभत्तत्ताति। अयं सासनपट्टानयोजना।
पकरणनयवण्णना निहिता।
इति सुमङ्गलविलासिनिया दीघनिकायट्ठकथाय परमसुखुमगम्भीरदुरनुबोधत्थपरिदीपनाय सुविमलविपुलपञ्जावेय्यत्तियजननाय अज्जवमद्दवसोरच्चसद्धासतिधितिबुद्धिखन्तिवीरियादिधम्मसमङ्गिना साट्ठकथे पिटकत्तये असङ्गासंहीरविसारदाणचारिना अनेकप्पभेदसकसमयसमयन्तरगहनज्झोगाहिना
महागणिना
महावेय्याकरणेन जाणाभिवंसधम्मसेनापतिनामथेरेन महाधम्मराजाधिराजगरुना कताय साधुविलासिनिया नाम लीनत्थपकासनिया ब्रह्मजालसुत्तवण्णनाय लीनत्थविभावना ।
ब्रह्मजालसुत्तवण्णना निहिता।
पठमो भागो निद्वितो।
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