Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 1
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 491
________________ [२८] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गअभिनवटीका-१ [फ-ब पंसुकूलधोवनेति-४१५ पुञ्ज-५, २१, २२, ५३, ६८,२२९, २५१, २७९ पुण्डरीकन्ति-१७० पुण्णमा-३५ पुण्णो-३५, ८३ पुत्ता- १८ पुथु-सद्दो- २१३ पुथुज्जनजाणञ्च -३३८ पुनब्भवोति-२६८ पुप्फगन्धोति-२०४ पुष्फपूजा-६६ पुप्फूपहारो-६६ पुब्बन्तकप्पिका-३४३,३९६ पुब्बन्तापरन्तकप्पिकाति-३९६ पुब्बपदं - २९० पुब्बपेता-३२३ पुब्बभागभावनापा-२५० पुब्बेनिवाससाणकथायं-३६४ पुब्बेनिवासन्ति-२११ पुब्बेनिवासविज्जासिद्धि-१०२ पुब्बेनिवासानुस्सतित्राणं- २५० पुरिमवचनं --१४४, १४५ पुरिमवेदनं-३५८ पुरिमसिद्धरुळ्हिया - ३७५ पुरिसो-४६, ४७, ६३, ९७, १६२, २०३, २३२, २४०, ३५९ पुरे-९,४९, ५३, २९५, ३०१ पुरेक्खारो - २९५ पुरे-सदो-४९ पूजारहाति-८५ पूजितेति-८४ पूरणकथा- २९५ पेक्खनं- ९९ पेय्यालं- १२१ पोणिकनिकायो-१०७ पोराणाति- १५३, २६९ पोरीति-३०१ फणिज्जकन्ति-३१३ फरणं-- २७३ फरित्वाति-८५ फरुसन्ति-२९८ फलञाणं-४३० फलन्ति - ८२, २६५, ३४०, ३४१, ४२० फस्सनिरोधाति-४१० फस्सपच्चयाति-४१९, ४२४, ४२५, ४२८, ४३०, ४३३ फस्ससमुदया- ४१० फळुबीजन्ति-३०४ फासुका -७६,७७ फासुविहारन्ति - १२७ फुसनलक्खणो-४०५ फुसिस्सन्तीति -३९९ फोटब्बारम्मणन्ति -३५८ बन्धकरणन्ति-३३० बलन्ति-४,१००,१२७,३३९ बलवतीति-२९१ बलिकम्मं - २०८ बहुपरिस्सयोति-१७२ बहुस्सुतोति- ५२ बावीसतिन्द्रियानि-४१,२५० बाहिरकधम्मे-२५० बाहिरबलं - २२५ बीजगामभूतगामसमारम्भा-३०४ बीजनी-३२२ बुद्धकरधम्मसिद्धि-१४ बुद्धकारकधम्मा-२२६ 28 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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