Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 1
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 498
________________ [ व-व] सद्दानुक्कमणिका Jain Education International विभागपुग्गलो - ५७ विसरुक्ख आणिन्ति - १६७ विसाखापुण्णमो - ३५ विसादो - ३९४ विसिट्ठभावं - ८४ विसुद्धपयोगो - २२६ विसुद्धिभावना - ४३४ विसुद्धिमग्गे - २००, २४८, २४९, २५१, ३४६, ३६४, विप्पलपन्तीति - १७२ विबाधितचित्तस्स - २९८ विभङ्गपाळि - ३६६ विभत्यन्तपतिरूपको - ७१ विभत्तिपयोगो - १५९ विभत्तिविपरिणामो - १५४ विभावनलक्खणो - ४२९ विभूसनं - २०३, ३०६ विमतिच्छेदना - २८२ विमानन्ति - ६६ विमुत्ति - ७५, ४१० विमुत्तित्राणदरसनं - १७० विमुत्तियाति - २७८ विमुत्तिरसो - ७६ विमुत्तिर- ७५ विमुत्तिसञ्ञिनो - ३८१ विमोक्खो - ३५५ विम्हापयन्तीति - ३२४ ३८२, ४०६ विसूकभूता - ३०५ विसेसमग्गफलं – ६८ विसंवादनचित्तं - २९५, २९६ विसंवादनं – २९५ विस्सकम्मुनाति - ६५ विस्सगन्धो - ६७ || विस्सट्ठसिक्खो - ५२ विस्सत्योति - ५३ विस्समिस्सामीति - ६८ विरतिचेतना – ४३३ विरतोति - २८७ विरत्तचित्तो - २२६ विरागानुपस्सनायाति - २७२ विहनन्ति - २१३ विहारोति - १५३ विहेठनभावतोति - २८८ वीतमलं - १६ वीतिनामेत्वाति - १७९ वीमंसा - ९९, ३५० विराजेत्वाति - २७१ विरेचनन्ति - ३३१ विलीनस्साति- ३३० विवट्टन्ति विवट्टानुपस्सना - २७२ विवाहनं - ३२९ विवित्तासनेति - १७९ - ४०९ वीमंसानुचरितन्ति - १६२ वीरियपारमी- २२०, २५२ वीरियबलेनाति - ४१५ वीरियसम्पत्ति - २३४ वीसताकारं - र - ३४२ वीहि - ३०८ वुत्तधम्मानन्ति - १५० विवेकजं – ४३ विसगन्धोति - ६७ विसङ्घतं - ७६ विसङ्घारगतं – ७७ विसट्टाति - ६५ विसदत्राणो - २२३ विसदिन्द्रियो - २२३ वुद्धभावोति - २९ वूपसमलक्खणं - २७३ वेदनाकम्मट्ठानेति – ४१० वेदनाक्खन्धो - १९८,२५१ वेदनाट्टस्स - १२० [३५] 35 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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