Book Title: Silakkhandhavagga Abhinava Tika Part 1
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 483
________________ [२०] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गअभिनवटीका-१ दळहीकम्म-२९९ दानउपपारमी-२५४ दानपरमत्थपारमी - २५४ दानपारमी-२२०, २२८, २५४ दानसीलखन्तिवीरियझानपञासभावेन -२५५ दिट्ठधम्मनिब्बानवादाति-३९६ दिट्ठधम्मनिब्बानं-३९४,४२८ दिट्ठधम्मसुखविहारसमयो-१४९ दिट्ठधम्मिको-८१ दिदृधम्मो-३९३ दिट्ठिगतन्ति-३५४ दिह्रिगतिकाधिट्टानन्ति-४०९ दिट्ठिजालन्ति-४१२ दिट्टिटानाति-३५४ दिट्टितण्हासल्लानुविद्धताय-४०१ दिट्ठिमानतण्हावसेन-८९ दिट्ठिविनिवेठनाति-८९ दिविविष्फन्दितमेव - ४०२ दिट्ठिविसुद्धि- २५०, २७४ दिट्ठिवेदयिते-४०२ दिट्ठिसम्पन्नो-१६० दिट्ठिसीलसामञ्चसङ्घातो-१६० दिट्ठिसीलादीनं-१६० दिट्ठिसंकिलेसप्पहानं-४३५ दिद्वेकडेति- २७२ दिप्पतीति-४९ दिब्बचक्खुञाणलाभी - ३९० दिब्बचक्खुन्ति-२११ दिब्बब्रह्मअरियविहारे - १५५ दिब्बसोतधातुजाणं - २५० दियडू - १०८ दिवाविहारं-१७१ दिसाकालुसियन्ति-३२८ दिसादाहो-३२८ दीघनिकायट्ठकथायन्ति-३२० दीघनिकायोति-१०७ दीघमग्गन्ति-१५९ दीघसुत्तङ्कितस्सातिआदीसु-११० दीपको --५१ दीपो-२५ दुक्खक्खयाय-१६० दुक्खन्ति-९८ दुक्खसहगतकायविज्ञाणस्स-३९४ दुक्खोगाहो-९३ दुग्गहिताति-९७,१०० दुच्चरितसंकिलेसप्पहानं-४१८ दुच्चरितं - ९० दुतियज्झानभूमिया - ३६५ दुतियसंवच्छरे -२०५ दुद्दसाति-३३३,३३४ दुप्प हि - ९६ दुमराजा-२१० दुरक्खातोति - १६३ दुरनुबोधाति-३३४ दुविधोति-३११ दुस्सील्यचेतना-२८६ दूतेय्यं -३०९, ३२४ दूरचारीति-२९२ देन्तीति -३२१ देय्यधम्म-२३९,२४० देवट्ठानन्ति-३३१ देवस्साति-३२९ देवोति-४९ देसना-१८,२९,४०,७७, ८६, ८७,९१, ९२, ९४, १२९, १३१, १६१, १८४, १८७, १८९, १९१, २०२, २८७, २८८, ३३३, ३३९, ३५२, ३५४, ३५९, ३८१, ३९१, ३९२, ३९८, ४००, ४०१, ४०२, ४०५, ४१०, ४२६ देसनाजालविमुत्तो-४१० देसनाधिट्टानं - ४१८ देसनासीसन्ति-३८१ देहधारणा-६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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