Book Title: Sikandar aur Kalyan Muni Author(s): Dharmchand Shastri Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 9
________________ महाराज पुरु और सिकन्दर की सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसका परिणाम बताना बहुत सहसा महाराज पुरु | का हाथी विचलित | होकर पीछे भागने लगा, सेना में भगदड़ मच गई... महाराज पुरु को बंदी बना लिया गया • महाराज पुरु ने भाला नारा सिकन्दर के पास से निकल गया, ओह! मरने से बच गया। महाराज पुरु महान योद्धा हैं। जीतना अत्यन्त लठिन है। سرا महाराज पुरु! आप के साथ कैसा व्यवहार किया जाये' सम्राट सिकन्दर ! आप स्वयं मुझ बंदी को महाराज कह रहे हैं। एक राजा जो अपनी मातृ भूमिको प्राणों से भी अधिक प्यार करता है, उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, - आप ही बताये? भाग्य से दुर्भाग्य टल गया। महाराज पुरु की हार निश्चित है ।Page Navigation
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