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यूनान की आशा कादीपक बुझ गया...सम्राट सिकन्दर की शवयात्रा सैनिक सम्मान केसानिकाली गयी। उसकी अन्तिम इच्छानुसार मुंह और दोनों हाथ ताबूल के बाहर खुले रखे गये।... औरचार वैद्य कंधा देरहे थे।...
सिकन्दर जब चळा भूसे, सभी हाली बहाली थे। पड़ी थी पासमें माया, मगर दो हाथ खाली थे ।
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आयु समाप्त
होने पर चिकित्सा 0000000(कभी आयुकाएक
क्षण भी नहींबढ़ा
सकते।
दुनियां देख ले कि असीम
सम्पत्ति का स्वामी सम्राट सिकन्दर भी इसदनियां से खाली हाथ गया कोई भी वैद्य उसके जीवन को नहीं बचा सका...
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