Book Title: Sikandar aur Kalyan Muni
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकुन्दर ( कल्याणमुनि कथा आर 06/ali Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Vikrant Patni JHALRAPATAN सिकन्दर और कल्याण मुनि : सम्पादक जैनागम के अनुसार श्रावक अपनी यथा शक्ति के अनुसार आचरण करते हैं। तथा दिगम्बर जैन साधु उस आत्म शुद्धि की प्रक्रिया में आध्यात्मिक श्रद्धा और ज्ञान के साथ महान तपश्चरण करते हैं जैन साधु समस्त वस्त्र अपने शरीर से उतार कर प्राकृतिक जीवन में आत्म साधना करते हैं उस कठोर साधना और उच्च त्यागमयी चर्या से सारा संसार प्रभावित होता है। ____ महान विजेता सम्राट सिकन्दर ने पश्चिम दिशा से जब भारत पर आक्रमण किया तब वह दिगम्बर जैन साधुओं की नग्नचर्या देख कर बहुत प्रभावित हुआ। उसने अपने देश में धर्मप्रचार के लिए जैन साधुओं को ले जाना उपयुक्त समझा। तदनुसार तक्षशिला से अपने देश को लौटते समय अपने साथ कल्याण नामक दिगम्बर मुनि को विनय एवं सम्मान के साथ यूनान की ओर मुनि श्री का विहार कराया। यूनान को जाते हुए मार्ग में बाबिलन स्थान पर जून ३२३ ई. पूर्व दिन के तीसरे पहर ३२ वर्ष आठ मास की आयु में महान विजेता मृत्यु की गोद में सो गया। अन्तिम समय में कल्याण मुनि का उपदेश सुनकर संसार की असारता का भान हुआ। सिकन्दर ने अपनी इच्छा प्रगट की कि मेरे मरने के पश्चात् संसार को शिक्षा देने को हाथ अर्थी से बाहर रखे जावें, मेरी शवयात्रा के साथ अनेक देशों से लूटी हुई विशाल सम्पत्ति श्मशान भूमि तक ले जाई जावे जिससे जनता अनुभव कर सके कि आत्मा के साथ कोई भी पदार्थ नहीं जाता। सिकन्दर ने अनेक देशों को जीत कर बहुत सी सम्पत्ति एकत्र की परन्तु मरते समय अपने साथ कुछ नहीं ले जा सका। परलोक जाते समय दोनों हाथ खाली थे। कल्याण मुनि ने यूनान में सर्वत्र विहार किया तथा अहिंसा, अपरिग्रह का उपदेश दिया। एथेन्स नगर में शान्तिमयी समाधि के साथ प्राण त्याग किए। ब्र. धर्मचंद शास्त्री प्रकाशक :- आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसार चंद रोड जयपुर सम्पादक :- धर्मचंद शास्त्री ज्योतिषाचार्य प्रतिष्ठाचार्य लेखक :- श्री मिश्रीलाल एडवोकेट गुना चित्रकार :- बनेसिंह प्रकाशनवर्ष १९८८ वर्ष 2 अंक 13 मूल्य : १०.०० Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकुन्दर और कल्याणमुनि चित्रांकनः बनेसिंह सिकन्दर ईसा से 358 वर्ष पूर्व यूनान के राजसिंहासन पर बैठा सम्राट सिकन्दर सुन्दर व बलशाली था। वह संसार को जीतना चाहता था Vikrant Patni JHALRAPATAN Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैं संसार को अपने आधीन करना चाहता हूं, हिन्दुस्तान सोने की चिडिया कहा। जाता है, उसे भीजीत कर अॅसीम सम्पत्ति प्राप्त करना चाहताह महान सम्राट हम आपकी भावनाओं की कीमत करते किन्त यह काम असम्भवहै। Oa FOLEAR ANI (मैं असम्भव शब्द पर विश्वास नहीं करता। महान सम्राट आपकी आज्ञा का हम पालन करेंगे। विजययात्रा कहां से। आरम्भ की जाये ? सबसेपहिले हम मिश्र पर आक्रमण करेंगे। EDOID Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महान सम्राट ! हमने मिश्र को जीत लिया है। मे सम्राट सिकन्दर की विशाल सेना ने मिश्र पर आक्रमण कर दिया मुझे अपने सैनिकों पर गर्व है। अब हम ईरान पर आक्रमण करेंगे ईरानी सैनिक वीरता से लड़े किन्तु सिकन्दर की विशाल सेना के आगे हार स्वीकार करनी पड़ी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईरान दुनिया ये कहेगी कि सिकन्दर महान है। विजय पर सदियों के बाद जागाबहादुर इन्सान है ।। उत्सव मनायाजा वाह,खूब मनोरंजन किया।जाओ, अब हम भारतवर्ष को जीतने के लिए यात्रा प्रारम्भ करेंगे रहा है IBYAAMITRA TOHITRATE Hallama अब हम दुनिया के सबसेधनी और सुन्दर देश पर तक्षशिलाके महाराज) मुझे सम्राट सिकन्दर से मित्रता आक्रमण करने जा रहे हैं। होरे,जवाहरात स्वर्ण- | की जय हो यूनानके करलेनी चाहिए जिससे अपने | मुद्राएँ सुन्दरता, हिन्दुस्तान में सब कुछ है। महान सम्राट सिकन्दर शव महाराज पुर, काअभिमान | सैनिकों। बहादरीसे लड़ना ।वहां हमारी वीरता ने मिश्चे और ईरान को नष्ट किया जा सके" की परीक्षा होगी। जीत लिया है। आपभी दूत। जाओ, तक्षशिला आधीनता स्वीकार कर/दूत! जाओ अपने का के महाराज आम्भीक सेर लीजिए। सैनाएंमहान सम्राट से कहना कहना हमारी आधीनता आक्रमण करने में उनकी मित्रता. स्वीकार करलें नहीं तो तैयार खड़ी है। और आधीनता हमखून की नदियो। स्वीकार है बहा देंगे 6 पूल UN ENTRA Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तक्षशिला के राज्य महान सम्राट । मैं तक्षशिला दरबार में महाराज में आपका स्वागत करता हूं। आम्भीक ने सम्राट भारतवर्ष को जीतना चाहते सिकन्दर का हो तो पंजाब में झेलम नदी स्वागत किया के किनारेपरबसे महाराज पुरूको जीतना जरूरी of SUIII हम तक्षशिला में ही अपनादरबारलगाया करेंगे महाराज पुरूको भी संदेश भेजते हैं। तुम्हें भी हमारीसहायता करनी पड़ेगी। महाराज पुरू का राजदरबार ...एक सेवक का प्रवेश महाराज की जयहो। यूनान के बादशाह सिकन्दर का दूत दरबार में | प्रवेश की अनुमतिचाहता है। (65 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकन्दर के दूत का प्रवेश... । सम्राट की जय हो। महान सम्राट सिकन्दर ने मिश्र ईरान और तक्षशिला को जीत लिया है। आपभी आधीनता स्वीकार करलें। ROMIMRAN । दूत जाओ,अपने सम्राटसे कहना, स्वतंत्रता हमें प्राणों से भी प्यारी है। आधीनता हम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते । महाराज | सिकन्दर महान की विशाल Y दूत | जाओ, हमें तुम्हारी सेना है। अस्त्र-शस्त्रों से सज्जित है। लाशों सलाह की आवश्यकता के ढेर लग जायेंगे, दर्भाग्य को न नहीं हारजीत का बलायें। में निवेदन करता हूं. परिणाम युद बतायेगा आधीनता स्वीकार कर लें। bujulus Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाराज पुरु और सिकन्दर की सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसका परिणाम बताना बहुत सहसा महाराज पुरु | का हाथी विचलित | होकर पीछे भागने लगा, सेना में भगदड़ मच गई... महाराज पुरु को बंदी बना लिया गया • महाराज पुरु ने भाला नारा सिकन्दर के पास से निकल गया, ओह! मरने से बच गया। महाराज पुरु महान योद्धा हैं। जीतना अत्यन्त लठिन है। سرا महाराज पुरु! आप के साथ कैसा व्यवहार किया जाये' सम्राट सिकन्दर ! आप स्वयं मुझ बंदी को महाराज कह रहे हैं। एक राजा जो अपनी मातृ भूमिको प्राणों से भी अधिक प्यार करता है, उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, - आप ही बताये? भाग्य से दुर्भाग्य टल गया। महाराज पुरु की हार निश्चित है । Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकन्दर वीरों और स्वाभीमानी राजाओं का सम्राट सिकन्दर । भारतवर्ष में वीर और स्वाभीमानी सम्मान करना जानता है। आप स्वतंत्र है। । राजाओं की कमी नहीं है। दुर्भाग्य से आपस में शत्रता आज से मेरे मित्र हैं। मै तक्षशिलालौट जाऊंगा, रखते हैं आप वीर हैं,वीरों का सम्मान करते हैं। मैं आपकी प्रशंसा करता हूं और मित्रता स्वीकार करता हूं। CBSESI AGRON सम्राट सिकन्दर ने महाराज पुरूको बंधन मुक्त कर दिया........... उघरसम्राट की सेनापतिजी। हम अपने युनान लौटने का सैनिक छावनी में वतन यूनानलौटना चाहते निर्णय तो देवला हैं! भारत वर्षबहुलबडादेशहै करेंगे,अंशकतशा इसे जीतना कठिन है। मैंने भारतवर्ष में दिगम्बर साधुओं की बड़ी प्रशंसा सुनी है। जाओ किसीदिगम्बर सन्यासी को हमारे दरबार में लाओ। महानसम्राट, मैं आपकी महाराज पुरू से भयंकर युच्दलड़ने भावनाएं सम्राट | के पश्चात सेनाएं तक पहुचा विश्रामचाहती है दूंगा उनकी इच्छा यूनान लौटने की है। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उन दिनों महान आचार्य दौलामस का संघ तक्षशिला में आया हुआ था सेनापति अंशकृतस व राजा आम्भीक साधुओं के पास गये..... Jor dinlent!" अरे। इन सन्यासियों के पास नवस्त्र, न भोजन, न रहने का मकान, ये कैसे जीवित रहते होंगे ? इन्हें सम्पति का लालच देना चाहिए, सन्यासी जी ! महान सम्राट सिकन्दर ने आपको दरबार में बुलाया है, वह आपके अभावों को दूर कर देंगे 8 Cala सामने शिलाखंड पर आचार्य वत्स । सुखी रहो। उनसे निवेदन कीजिए वे आचार्य श्री दौलामस के सामने उपस्थित हुए और आचार्य श्री, प्रणाम स्वीकार कीजिये । सम्राट के दूत । जिसे तू सम्पत्ति कहता है उसे हम पाप का कारण समझकर छोड़ चुके हैं। जिसे तू अभाव कहता है वह हमारी उपलब्धि है । लौट जा । मृत्यु का भय किसे दिखा रहा है। जन्म-मरण में जो समान भाव रखते हैं वही साधु होते हैं। आत्मा अमर है और शरीर से हमें प्यार नहीं है। bbe आचार्य श्री । संसार के महान सम्राट सिकन्दर ने आपको राज दरबार में बुलाया है। वह आपको असीम सम्पत्ति देगा। आपके अभाव दूर कर देगा आचार्य श्री सम्राट की आज्ञा पालन न करने का परिणाम आपको बता देना अपना कर्तव्य समझता हूं। मृत्यु दण्ड.. भी. हो... संकृता ..... Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य श्री | सम्राट सिकन्दर यूनान के महान पुरूष अरस्तू का शिष्य है वह आपसे ज्ञान चर्चा करना चाहता है सम्राट सिकन्दर ज्ञान चर्चा करना चाहता है तो वह स्वयं यहीं आये अब हम आत्मचिन्तन करेंगे। सम्राट सिकन्दर का दरबार... महान सम्राट दिगम्बर सन्यासियों ने राजदरबार में आना अस्वीकार कर दिया है।बहत लालच दिया पर लगला है दुनिया की किसी वस्तु से उनका कोई सम्बंध नहीं है। ABAR jlelief स्वामी। उन्हें मृत्युका कोई भय नहीं। वे अनोखी बातें करते हैं। आत्मा कभी मरतीनहीं और शरीर से उन्हें मोह नहीं है। तुमने सिकन्दरकी आज्ञा नमानने का परिणाम बला दिया था? Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह सब कहने की बातें हैं । जब कष्ट दिया जायेगा तब सब भूल जायेंगे। उन्हें बंदी बना कर हमारे दरबार में पेश करो ! महान सम्राट ! यह देश सम्पत्ति की हानि उठा सकता है । विवशता में परतंत्र हो सकता है। किन्तु किसी भी धर्म के गुरू के साथ दुर्व्यवहार सहन नहीं कर सकता। विद्रोह हो जायेगा। अकारण विपत्ति मोल न लें । MESS ल 11 0 O 0 महाराज आम्भीक । आप हमारे शुभचिंतक हैं। हमें आपकी सलाह पसंद है, पर जैन साधुओं से मिलने हम स्वयं जायेंगे। आपभी हमारे साथ चलेंगे । Bra आम्भीक और सम्राट सिकन्दर आचार्य श्री दौलामस से मिलने के लिए दरबार से निकल पड़े. ... महान सम्राट | आपने उचित निर्णय लिया है । आप से यही आशा थी Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ और वे आचार्य श्री के समक्ष पहुंचे... असंख्य स्त्री-पुरूष श्रद्धापूर्वक आचार्यश्री दौलामस को नमन कर रहे थे। विश्वविजेता सर्वप्रभूत्वसम्पन्न वैभवशाली शाहनशाह सम्राट सिकन्दर आश्चर्य चकित होगटा...... TVNE + 3. au -- DOETTE 158666000 ONARY THCCC Raulim Preetito Kritirna अरे! इस सन्यासी के. पासवस्त्र तक नहीं है। क्याबात है जो इतने स्त्री-पुरुष सम्मान दे रहे हैं। किसी जैन साधुको यूनान साथ ले चलना चाहिए। मुझे तो सफलता की कोई आशा नहीं दिखाई देरही है। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्यश्री दौलामस के समीप जाकर संम्राट सिकन्दर ने कहा मेरी दृष्टि में गरीब-अमीर में कोई फर्क नहीं है। बोल । क्या चाहता है ? 13 मैं यूनान का बादशाह सिकन्दर हू T You Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DABHA आपके पास नवस्त्र है, नभोजन, न भवन। सब कुछ छोड़कर आप क्या खोज रहे है? आत्मतत्व को खोज रहा हूं। MILIA MPIN 17Cure सब कुछ खोकर ही परमात्माको पाया जा सकता ००० REY LLASS 14 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकन्दर! सुना है तू दुनियां को जीतनांचाहता है। वटा तुझे पता है कि तू कौन है? विचित्र प्रश्न है सब जानते हैं कि मैं यूनान का बादशाह सिकन्दर हं। INTAININ JAN Aunn0 HU. Indjjar ato CHRI FAM NOO20 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह तो मैं भी जान गया हूं। पर मेरा प्रश्न है, कहां से आया है ? दुनिया में कब तक रहेगा ?...... MIRAT LEE568 illuliMAILY TRADAMUILD COULNARY कहां से आया हूँ? .... दुनिया में कब तक रहगा ?.... froidA "और इसे छोड़ कर कब और कहां जायेगा? दुनिया कब छूट जायेगी .... १२ और इसके बाद कहां जाऊंगा? ??१. आचार्यश्री दौलामस जी। आपके प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं है। Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जो तुझे पता नहीं है, उसका गंतव्य पाना ही हमारा उद्देश्य है । तू दुनियां को पाना चाहता है और हम छोड़ना चाहते हैं। आचार्य जी । आपका दर्शन महत्वपूर्ण हैं। मैं आपको यूनान चलने के लिए आमंत्रित करता हूं। मेरे गुरु अरस्तू आप से चर्चा कर प्रसन्न होंगे वत्स । हमारी दिनचर्या निश्चित है। यूनान चलना सम्भव नहीं । सुखी रह । भीतर खोज, आंखों से दिखने वाले दृश्य मिट जाते हैं । CONVER 17 R Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोई साधु तेरे साथ नहीं जायेगा, कोई जाना चाहे तो पूछ ले। सन्यासीजी, आपका क्या नाम है? 12230 वल्स,मुझे कल्याण मुनि कहते हैं। HA AT Little GODUJUUS आप हमारे साथ यूनान चलिये। भारतवर्ष के बाहर भी बहुत सी वस्तुएं देखने जानने योग्य हैं। APAN सम्राट सिकन्दर! भारतवर्ष से बाहर जाकर अहिंसाधर्म का प्रचार करने की मेरी इच्छा है, पर गुरुदेव आज्ञा नहीं देगे। 35 कल्याण मुनि, गुरुदेव से आज्ञा प्राप्त करने की कोशिश कीजिये। ४ . Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुरुदेव! मैं सम्राट सिकन्दर के साथ यूनान जाना चाहता हूं। अनुमति प्रदान कीजिये। वत्स ! संघ के नियमों के अनुसार मै तुझे आज्ञा नहीं देसकला। गुरूदेव ! मैं अहिंसा और जैन धर्म के प्रचार के लिए देश-देशांतर में) विहार करना चाहताह वत्स । तू अपनी इच्छा का स्वामी है जा तेरा कल्याण हो। ५... Mom 19 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिकन्दरसमुद्र मार्गसे यूनान लौट रहा है साथ में कल्याणमुनि। महाराज आम्भीक विदा करने आये WILL सम्राट सिकन्दर! आपकी यात्रा शुभ हो Ses PATRA महाराज आम्भीक,मैं आपकी मित्रता सदैव याद रदूंगा। कल्याण मुनि। सम्राट! मेरे लिए इस नामसे पुकारने नाम का कोई महत्व में मुझे असुविधा नहीं, किसी भीनाम होती है। मैं तुम्हें से पुकार सकते हो मुनि कालनस नाम से सम्बोधित करूंगा रास्ते में 20 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कालनस! मेरे हाथी की रेखाएं पढ़ कर, मेरा भविष्य बनाओ ( C MARRECRCe om HOMAMIT SANSAR SHION सम्राट! भविष्यबताने के लिए कल्याण मुनि को हाथ की रेखाएं पढने की जरूरत नहीं है। अच्छा कल्याण, Y सम्राट सिकन्दर भविष्य बिना हाथकी रेखाएं जानने से कोई लाभ नहीं। देखे ही मेरा भविष्य जो होना होगा सामने आ बलाओ। जायेगा । कर्म करना अपना कर्तव्य है। را درود 83 VITEORATO ( 4TAA Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिकालनस- ( सम्राट सिकुन्दर मैंने आपका भविष्य कल्याण, मैं तुम्हारी पढ़ लिया है। मैं अनुरोध करता हूं कि भविष्यवाणी का आप भविष्य न पूछे। चमत्कार देखना चाहता हूं। 01o त्र कल्याण मुनि! निर्भय होकर भविष्य बताओ। हम तुम्हारी भविष्यवाणीका चमत्कार देखना चाहते 190 सम्राट! मेरी भविष्यवाणी चमत्कारपूर्ण लो होगी ,पर आप चमत्कार देख नहीं सकेंगे। 22 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्याण मुनि। मेरी उत्सुकता मत बढाओ। मेरी आज्ञा है भविष्य सम्राट यूनान पहुंचने के. पूर्व आपंकी मृत्यु होजायेगी। बताओ। कल्याण! युवा आयु स्वस्थ शरीर, असीम दौलत, तुम्हारी यह भविष्यवाणी सत्य होने की आशा नहीं है। सम्राट । मैं भी चाहता हूं कि मेरी भविष्य वाणी सच न हो। PILLURIHITRA minuRALA AUDIMILURE Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंत पर सबसे अधिक विश्वास करता हूं। यदि कल्याण मुनि की भविष्यवाणी सच निकले तो मेरी अन्तिम इच्छा का पालन किया जाये । बेबीलान का बन्दरगाह दिख रहा है कुछ ही दिनों में हम यूनान पहुंच जायेंगे । सम्राट सिकन्दर अकस्मात बीमार हो गये...... नहीं सम्राट ! साधारण बीमारी है, शीघ्र ही आप अच्छे हो जायेंगे । 24 कल्याण मुनि । ऐसा प्रतीत होता है कि तुम्हारी भविष्यवाणी सच होने जारही है. 14 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्याणमुनि ! सत्य क्या है? सम्राट सिकन्दर! जाम भी सत्य है और मृत्युभी सत्य है। دارای استان कल्याण मुनि! मेरा अन्तिम सम्राट सिकन्दर । जीवन समय निकट है। मेरे कल्याण की यात्रा अकेली है। एक सूत्र के लिए अन्तिम उपदेश दीजिए। याद करो, मैं जीवित था, जीवितहूँ और जीवित रहूंगा। Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - अंशकृतस, मेरी अन्तिमइच्छा याद रखना। कल्याणमुनि को यूनान का अतिथि समझना HIANI D Alage नि संसारको जीतने का साहस रखने वाला सम्राट सिकन्दर मूल्य से हार गया। बेबीलोन बन्दरगाह के निकट ३० वर्ष माह की आयु में उसकी मृत्यु हो गई। 26 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यूनान की आशा कादीपक बुझ गया...सम्राट सिकन्दर की शवयात्रा सैनिक सम्मान केसानिकाली गयी। उसकी अन्तिम इच्छानुसार मुंह और दोनों हाथ ताबूल के बाहर खुले रखे गये।... औरचार वैद्य कंधा देरहे थे।... सिकन्दर जब चळा भूसे, सभी हाली बहाली थे। पड़ी थी पासमें माया, मगर दो हाथ खाली थे । |rnn. nnr 1. In ܙܪ ܩܠܠ ܐܢ ܙ ппгга F- 25 BOTO आयु समाप्त होने पर चिकित्सा 0000000(कभी आयुकाएक क्षण भी नहींबढ़ा सकते। दुनियां देख ले कि असीम सम्पत्ति का स्वामी सम्राट सिकन्दर भी इसदनियां से खाली हाथ गया कोई भी वैद्य उसके जीवन को नहीं बचा सका... 27 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यूनान में असंख्य जन समूह के समक्ष कल्याण मुनि ने उपदेश दिया... सत्य और अहिंसाके पालन से ही संसार में शांति हो सकती है। ' OR Sam एथेन्सनगर में एक शिलाखण्ड पर बने चरणचिन्ह जो जैन मुनि कालनस कल्याण की पवित्रयाद दिलाते है । 28 Vitrant Patni dlar.APATAN Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनाचार्यों द्वारा लिखित सत्य कथाओं पर आधारित / जैन चित्र कथा आठ वर्ष से 80 वर्ष तक के बालकों के लिए ज्ञान वर्धक, धर्म, संस्कृति एवं इतिहास की जानकारी देने वाली स्वस्थ, सुन्दर, सुरुचिवर्धक, मनोरंजन से परिपूर्ण आगम कथाओं पर आधारित जैन साहित्य प्रकाशन में एक नये युग का प्रारम्भ करने बाली एक मात्र पत्रिका जैन चित्र कथा ज्ञान का विकाश करने वाली ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और चरित्र निर्माणकारी सरल एवं लोकप्रिय सचित्र कथा जो बालक वृद्ध आदि सभी के लिए उपयोगी अनमोल रत्नों का खजाना, जैन चित्र कथा को आप स्वयं पढे तथा दूसरों को भी पढ़ावे / विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें। Vikrant patni JHALRAPATAN आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला संचालक एवं सम्पादक-धर्मचंद शास्त्री श्री दिगम्बर जैन मंदिर, गुलाब वाटिका लोनी रोड, जि० गाजियाबाद फोन 05762-66074