Book Title: Sikandar aur Kalyan Muni
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 13
________________ यह सब कहने की बातें हैं । जब कष्ट दिया जायेगा तब सब भूल जायेंगे। उन्हें बंदी बना कर हमारे दरबार में पेश करो ! महान सम्राट ! यह देश सम्पत्ति की हानि उठा सकता है । विवशता में परतंत्र हो सकता है। किन्तु किसी भी धर्म के गुरू के साथ दुर्व्यवहार सहन नहीं कर सकता। विद्रोह हो जायेगा। अकारण विपत्ति मोल न लें । MESS ल 11 0 O 0 महाराज आम्भीक । आप हमारे शुभचिंतक हैं। हमें आपकी सलाह पसंद है, पर जैन साधुओं से मिलने हम स्वयं जायेंगे। आपभी हमारे साथ चलेंगे । Bra आम्भीक और सम्राट सिकन्दर आचार्य श्री दौलामस से मिलने के लिए दरबार से निकल पड़े. ... महान सम्राट | आपने उचित निर्णय लिया है । आप से यही आशा थी

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