Book Title: Sikandar aur Kalyan Muni
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 22
________________ सिकन्दरसमुद्र मार्गसे यूनान लौट रहा है साथ में कल्याणमुनि। महाराज आम्भीक विदा करने आये WILL सम्राट सिकन्दर! आपकी यात्रा शुभ हो Ses PATRA महाराज आम्भीक,मैं आपकी मित्रता सदैव याद रदूंगा। कल्याण मुनि। सम्राट! मेरे लिए इस नामसे पुकारने नाम का कोई महत्व में मुझे असुविधा नहीं, किसी भीनाम होती है। मैं तुम्हें से पुकार सकते हो मुनि कालनस नाम से सम्बोधित करूंगा रास्ते में 20

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