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जो तुझे पता नहीं है, उसका गंतव्य पाना ही हमारा उद्देश्य है । तू दुनियां को पाना चाहता है और हम छोड़ना चाहते हैं।
आचार्य जी । आपका दर्शन महत्वपूर्ण हैं। मैं आपको यूनान चलने के लिए आमंत्रित करता हूं। मेरे गुरु अरस्तू आप से चर्चा कर प्रसन्न होंगे
वत्स । हमारी दिनचर्या निश्चित है। यूनान चलना सम्भव नहीं । सुखी रह । भीतर खोज, आंखों से दिखने वाले दृश्य मिट जाते हैं ।
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