Book Title: Siddhachakra Aradhan Keshariyaji Mahatirth
Author(s): Jitratnasagar, Chandraratnasagar
Publisher: Ratnasagar Prakashan Nidhi

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Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org महादेव का मन्दिर एक मकान जैसा शिखर वाला मन्दिर था। ओटले के नीचे ही पूजारी ने मुझे जिन प्रतिमा बताई। प्रतिमा मंगलमूर्ति थी। हम मन्दिर में घुसे तो द्वार से लगाकर सामने की भीत तक दो शिवलिंग स्थापित थे। द्वार के ठीक सामने बीच में दिवाल पर एक आलिया था उसमें अनुमानित 11 इंच की परिकर युक्त एक जिन प्रतिमा विराजमान थी। मेने प्रतिमा पहचानने का पूर्ण प्रयास किया किन्तु मैं सफल न हो सका। कारण कि परिकर का आधा भाग दीवाल में ढंका हुवा था। शायद वहां के पण्डों ने उसे जानबूझ कर दबा दिया होगा गादी भी दबी हुई थी । महादेव के साथ वहां आने वाले शिवभक्त जिन प्रतिमा पर भी पानी डालते हैं परिणाम स्वरूप प्रतिमाजी पर कन्जी जम गई है हां यह नितान्त सत्य है कि प्रतिमाजी जिनेश्वर देव की ही है। मन्दिर की बाई ओर दिवाल पर एक पट्ट स्थापित है। उसे भी शायद जानबूझ कर दिवाल में दबा दिया होगा। परिणाम तह उस पट्ट की लम्बाई चौड़ाई का अनुमान नहीं किया जा सकता है। पट्ट में एक पक्ति से जिन प्रतिमाएँ अंकित है। मध्य में फणाओं से युक्त प्रतिमाजी है। शायद वे प्रतिमाएँ 170 होगी? क्योंकि 170 जिन का पट्ट अनेक जगह तीर्थों में स्थापित है। सभी प्रतिमाएँ पद्मासीन है। शिल्पशास्त्र के अनुसार वे प्रतिमाएँ सिद्ध अथवा तीर्थकर की है। वहां से थोड़ी सी दूर घाटी उतरकर चलने पर कुटुम्बेश्वर महादेव के मन्दिर में भी में एक जिने श्वरदेव का शिलापट्ट स्थापित है। पट्ट के केन्द्र में बड़ी प्रतिमा है वह प्रतिमा या तो पार्श्वनाथ प्रभु की या सुपाश्वनाथ प्रभु की होना सम्भव है। मेंरी दृष्टि में यही दोनों जगह के शिलापट्ट अवन्ति सुकुमाल मुनि का समाधि स्तूप का अवशेष है। हाल वहां रहने वालों का कथन है कि इस भूमि पर पूर्व काल में श्मशान था। आज भी नींव खोदने पर हाडपिंजरे निकलते हैं। पहले श्मशान होने से ही शायद इस तीर्थ स्वरूप समाधि स्तूप की जैनों ने उपेक्षा की होगी अतः हिन्दुओं ने वहाँ श्मशान के अधिष्ठाता महादेव का लिंग स्थापना करके हिन्दु मन्दिर बना दिया होगा। अब यदि उज्जैन का जैन समाज जाग्रत होकर इस दिशा में कदम बढ़ाता हैं तो एक ऐतिहासिक प्राचित समाधिस्तूप की प्राप्ति हो सकती है। ___ मालवा के प्रमुख तीर्थधाम मक्षी, मांडव, भोपावर, लक्ष्मणी, नागेश्वर, परासली, हासामपुरा, वईतीर्थ For Private and Personal Use Only

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