Book Title: Shwetambar Sthanakvasi Jain Sabha Hirak Jayanti Granth
Author(s): Sagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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नियुक्तिसाहित्य : एक परिचय
सन्दर्भ-ग्रन्थ
1. 2.
8. 9.
12.
15. 16.
अनुयोगद्वार, पृ. 18 और आगे आवश्यकनियुक्ति, गाथा 88 वही, गाथा 83 निश्चयेन अर्थप्रतिपादिका युक्तिनियुक्ति : आचारांगनियुक्ति, 1/2/1 उत्तराध्ययन की भूमिका, पृ. 50-51 Dr. Ghatge, Indian Historical Quarterly, Vol. 12, p. 270 वंदामि भद्दबाहुं पाईणं चरिमसगलसुयनाणि । सुत्तस्स कारगमिसि दसासु कप्पे य ववहारे।।
- दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति, 1 आवश्यकनियुक्ति, गाथा 79-85 गणधरवाद प्रस्तावना, पृ. 15-16 आवश्वकनियुक्ति, गाथा 17-19 सामाइयमाइयाइं एक्कारस्स अहिज्जइ। -- अन्तःकृतदशांग प्रथमवर्ग। आवश्यकनियुक्ति, गाथा 94-103 वही, गाथा 459 वही, गाथा 594 वही, गाथा 881 वही, गाथा 1023-1034 वही, गाथा 1035 वही, गाथा 1059 वही, गाथा 1064 वही, गाथा 1066-68 वही, गाथा 1087-89 वही, गाथा 110-11 वही, गाथा 1145-47 वही, गाथा 1167-1200 वही, गाथा 1204 वही, गाथा 1223 स्वस्थानात्यत्परस्थानं प्रमादस्य वशाद्गहः । तत्रैव क्रमणं भूयः प्रतिक्रमणमुच्यते।
- आवश्यकनियुक्ति, गाथा 1236 वही, गाथा 1238 वही, गाथा 1244-46 वही, गाथा 1268 वही, गाथा 1269-1273 वही, गाथा 1447 वही, गाथा 1453
30. 31. 32.
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