Book Title: Shrutsagar Ank 040
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७२ ३५ श्रुतसागर - ४० श्लोकांक | स्वोपज्ञ वृत्ति | भाषांतर अलंकार (पत्रांक) । (पृष्ठांक) ११ | ४२१ निदर्शना अने अतिशयोक्ति १६ | पर्यायोक्त अने गम्योत्प्रेक्षा जि. र. को. (विभाग १, पृ. ८९) मां अमरचन्द्रसूरिकृत काव्यकल्पलताने अंगेनी विविध वृत्तिनी नोंध छे. एमां ३२५० श्लोक जेवडी वृत्ति यशोविजये रच्यानो अने एनी एक हाथपोथी अमदावादनी हाजा पटेलनी पोळमां आवेला 'विमल' गच्छना उपाश्रयना भंडारमांना पांचमा दाबडानी बीजी हाथपोथी तरीके होवानो उल्लेख छे. आ हाथपोथी नजरे जोया विना आ वृत्ति विषे विशेष शुं कही शकाय? बीजुं, आ यशोविजय ते प्रस्तुत न्यायाचार्य छ के केम तेनी पण तपास थवी घटे, केमके ए नामना अन्य मुनिवर थई गया छे. आथी आ भंडारनी हाथपोथी जेने जोवा मळी शके तेम होय तेओ आ बाबत प्रकाश पाडवा कृपा करे एवी मारी तेमने सादर विज्ञप्ति छ. अहीं ए उमेरीश के वज्रसेनना शिष्य हरिए (हरिषेणे) कर्पूरप्रकर नामनी जे कृति रची छे तेनी एक टीका यशोविजयगणिए रच्यानो जि. र. को. (विभाग १. पृ. ६९) मा उल्लेख छे. तो शुं आ गणि ते प्रस्तुत न्यायाचार्य ज छे? आ वृत्तिनी हाथपोथीओ अमदावादना डेलाना उपाश्रयना भोयतळियाना भंडारमा तेमज पहेला माळना भंडारमा होवानो अहीं उल्लेख छे. (जैन सत्य प्रकाश, वर्ष-२२, अंक नं. ३-४) १. अहीं मम्मटनो उल्लेख छे. २. अहीं 'हैम' एवो उल्लेख छे. आवा उल्लेखो एकत्रित कराय तो रत्नापणमा जेम “हैम' काव्यानुशासनमांथी अवतरण अपायां छे तेम यशोविजयगणिए केटलां अने कया आप्यां छे ते जाणी शकाय. ३. एमणे त्रिषष्टिसार रच्यानो उल्लेख कर्पूरप्रकरना अंतमा छ. शुं आ कृति कोई स्थळे छे खरी? For Private and Personal Use Only

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